नाइट ब्लड सर्वे के दौरान पता की जाएगी फाइलेरिया रोग की प्रसार दर

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  • धनकौल गांव स्थित सेंटिनल साइट से हुआ उद्घाटन 
  • मंगलवार से शुक्रवार तक लिए जाएंगे ब्लड सैंपल 
शिवहर : फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए जाने वाले सर्वजन दवा सेवन के पहले जिले में फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने के लिए मंगलवार से शुक्रवार तक 10 गांव में नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। इसकी शुरुआत मुखिया ललिता देवी, सिविल सर्जन देवदास चौधरी और जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सुरेश राम द्वारा पंचायत भवन धनकौल के सेंटिनल साइट से की गयी। मंगलवार को कुल 676 लोगों के रक्त नमूने लिए गए। मालूम हो कि प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। सिविल सर्जन डॉ देवदास चौधरी ने बताया कि शिवहर जिले के नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत खैरमा दर्प, फूलकहां, बिशनपुर मानसिंह, डुमरी कटसरी, धनकौल, रतनपुर, अदौरी, बैदौल आदम, तुलसी नगर तथा वृंदावन में शिविर लगाकर सैंपल लिया जाना है जिससे संभावित मरीजों की समुचित जांच सुनिश्चित हो सके और शुरुआती दौर में ही बीमारी की सही जानकारी मिल सके। नाइट ब्लड सर्वे के लिए चार सदस्यीय टीम भी बना दी गई है। जिसमें अनिवार्य रूप से एक लैब टेक्नीशियन होंगे। संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर लोगों को सैंपलिंग कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
प्रखंडों में फाइलेरिया की स्थिति का लगाएंगे पता: 
जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुरेश राम ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया की दर को जानना है। नाइट ब्लड सर्वे से यह पता चलेगा कि कितने लोगों में माइक्रोफाइलेरिया मौजूद हैं। माइक्रोफाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते है। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में 8 से 12 बजे रात के बीच ही ब्लड सैम्पल लिया जा रहा है। इसमें 20 साल से ऊपर के लोगों का रक्त नमूना जांच के लिए लिया जाएगा। मौके पर  वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कंसल्टेंट मोहन कुमार,  बीभीडीएसडी  अमरेंद्र कुमार सिंह पिरामल फाउंडेशन टीम प्रोग्राम मैनेजर आकांक्षा कुमारी, प्रोग्राम लीडर रोहित कुमार, राकेश कुमार,प्रोग्राम ऑफिसर नवीन मिश्रा,राष्ट्रभूषण कुमार भी मौजूद थे।
सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी कराएं जांच: 
डॉ. सुरेश राम ने कहा कि फाइलेरिया या हाथीपांव के लक्षण सामान्यतः शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। इसके माइक्रोफाइलेरिया शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकते हैं। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं। फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। ये साइलेंट रहकर शरीर को खराब करती है। फाइलेरिया एक परजीवी से होने वाला रोग है जो मच्छर के काटने से फैलता है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों) की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
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