आज के दौर में प्रेम करना, सच बोलना ही सत्याग्रह है: नासीरुद्दीन

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  • देश दुनिया को एक बार फिर एक चम्पारण और गांधी की ज़रूरत है। वो गांधी जो निडर होकर सच बोलने और प्रेम करना सिखाए।
  • गांधी चरखा  और कबीर का करघा देश को एकता के सूत्र में बांधने का  मंत्र है
अशोक वर्मा
मोतिहारी : “आज देश दुनिया को एक बार फिर से एक चम्पारण और गांधी की ज़रूरत है। वो गांधी जो निडर होकर सच बोलने और प्रेम करना सिखाए। हिंसा, नफ़रत और युद्ध की कोई जरूरत नहीं है। बच्चे पढ़ना चाहते हैं। युवा को रोजगार की गारंटी चाहिए और सबको सत्ता, समाज और विकास में समानुपातिक हिस्सेदारी चाहिए। इसलिए आदमी से आदमी का प्रेम करना और सच को निर्भीकता से कहना ही सत्याग्रह है।”
ढाई आखर प्रेम: राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था के बिहार पड़ाव के समापन समारोह को मोतिहारी गांधी स्मारक संग्रहालय में संबोधित करते हुए लखनऊ से आए वरिष्ठ पत्रकार नासीरुद्दीन ने उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज हर देश को गांधी की ज़रूरत है। चाहे वो हमारा देश हो या फिलीस्तीन, इस्राइल, कनाडा। सबको गांधी के सत्याग्रह की ज़रूरत है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इप्टा के राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र ने कहा कि प्रेम, बंधुत्व, समानता, न्याय और मानवता के संदेश लेकर पूरे देश में कलाकार, साहित्यकार, कवि, लेखक, नाटक करने वाले, गीत गाने वाले, हंसने और हंसाने वाले, सबकी भागीदारी में विश्वास रखने वाले इसी प्रकार से पदयात्रा कर रहे हैं। ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था 28 सितम्बर से अलवर, राजस्थान से शुरू हुआ और 30 जनवरी 2021 को दिल्ली में समाप्त होगा। 22 राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों में सांस्कृतिक सामाजिक महत्व के इलाके में पदयात्रा की जा रही है। इस यात्रा का बिहार पड़ाव 7 अक्टूबर से प्रारंभ होकर आज यहां समाप्त हो रहा है तो कल से पदयात्रा पंजाब में शुरू होगी। महात्मा गांधी के शहादत दिवस 30 जनवरी तक निरंतर यह यात्रा चलती रहेगी। प्रेम का संदेश पूरे देश में फैलता रहेगा।
सामाजिक संस्था एक्शन एड की प्रतिनिधि शरद कुमारी ने कहा कि प्रेम और बंधुता की सबसे बढ़ी वाहक हैं। हम प्रेम करती हैं और प्रेम बढ़ती हैं। लेकिन जो कुछ मणिपुर में हो रहा है और हुआ उससे विचलित हैं। आईए अपने घर, परिवार और समाज की महिलाओं से प्रेम करें।
बिहार इप्टा के महासचिव फीरोज अशरफ खां ने कहा कि ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था का बिहार पड़ाव महात्मा गांधी के पदचिह्न पर चलकर प्रेम का संदेश देने का प्रयास है। चम्पारण सत्याग्रह ने देश को अंग्रेजी गुलामी से मुक्ति की राह खोली थी और हम इस ढाई आखर प्रेम पदयात्रा से नफ़रत, हिंसा और घृणा से मुक्ति का आह्वान करते हैं। इस पदयात्रा में हम बांकीपुर जंक्शन (पटना जंक्शन) से मुजफ्फरपुर में बापू कूप (लंगट सिंह कॉलेज) पहुंचे और उसके बाद सात दिनों तक पूर्वी चम्पारण के गांव गांव में पदयात्रा घूमी। प्रेम के संदेश को जनगीत, नाटक और नृत्य में प्रस्तुत किया।
ढाई आखर प्रेम पदयात्रा के स्थानीय संयोजक अमर भाई से स्वागत करते हुए कहा कि यह पदयात्रा आदमी से आदमी को जोड़ने की यात्रा है। हर पड़ाव, हर चौराहे पर समुदाय के पदयात्रियों ने खाना खाया, पानी पिया और आराम की। गांव की महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने पदयात्रियों के मिलाकर इसको सफल बनाया। यही इस पदयात्रा की सफलता का सूत्र है कि सारे रास्तों में हम बापू के जन बनाते गए और लोगों को जोड़ते गए हैं।
इस मौके पर ब्रजकिशोर सिंह (सचिव, गांधी संग्रहालय), डा० परवेज (अध्यक्ष, जिला शांति समिति), श्रीमती शशिकला (पूर्व प्राचार्य, जिला स्कूल), ई० गप्पू राय, बरकत खां, मुमताज़ आलम, गुलरेज शहजाद (पूर्व पार्षद), पारसनाथ (अवकाश प्राप्त शिक्षक), विनय कुमार  (सह संयोजक, आयोजन समिति, ढाई आखर प्रेम), कपिलेश्वर, विनोद कुमार, इंद्रभूषण रमन बमबम, चांदना झा आदि ने भी भागीदारी की।
धन्यवाद ज्ञापन सह संयोजक मंकेश्वर पाण्डेय के किया और गांधी स्मृति संग्रहालय और मोतिहारी के आवाम को आभार व्यक्त किया।
ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था के बिहार पड़ाव समापन कार्यक्रम की शुरुआत जनगीत से हुई। पियूष सिंह के नेतृत्व में रघुपति राघव राजा राम की प्रस्तुति हुई। एस एस हिमांशु ने तू खुद को बदल, राजेंद्र प्रसाद राय ने खदिया फेन के ना का गायन किया। लक्ष्मी यादव ने बढ़े चलो नौजवान, कैसे जइबे है सजानिया की प्रस्तुति की। मधुबनी और भागलपुर इप्टा के कलाकारों ने नृत्य की प्रस्तुति की।
रायपुर (छत्तीसगढ़) से आए निसार और देवराज की जोड़ी ने गम्मत शैली में नाटक की प्रस्तुति की। राजन ने भगत सिंह के अंतिम पत्र का पाठ किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन ढाई आखर प्रेम गीत से हुई।
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