‘हमार कला के मतलब समाज के दुख–दर्द के इलाज ह’ कला और संस्कृति के साधकों ने भिखारी ठाकुर को याद किया

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  • विदेसिया का मंचन देखने भारतीय नृत्य कला मंदिर पहुंचे दर्शक
पटना। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार और भारतीय नृत्य कला मंदिर के संयुक्त तत्वावधान में भिखारी ठाकुर की 137वीं जयंती के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ।
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के उप सचिव सह प्रशासी पदाधिकारी भारतीय नृत्य कला मंदिर श्री सुशांत कुमार, शिक्षकों एवं कलाकारों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम का आगाज़ अखिलेश सिंह (बयास) के गायन से हुआ। गायन मंडली ने अपनी प्रतिभा से सभागार में उपस्थित कला प्रेमियों को स्तब्ध कर दिया। उन्होंने “पियक राम नाम रसखोरी, रेमनबाँ रे मनबों दूहे अरग वा मोरी”,  घोती पटसरीया, घई के कान्हा पचदरीया हो बबरीया भार के ना”, “सबसे उत्तम छपरा हमारी”, “तोहरे कारनकी दुखित बारे परनवा दुषित वारे दाया कके दरसन देर हो बलमुआ”, “भगरिमा, भगनिमा, भगनी में, भगिनी कहिमा बग्गीहं सीता राम लग्निमा” आदि एक के बाद एक कई लोकगीत गाये। गायन मंडली में आरती कुमारी, सुनिल कुमार, राजेश, सत्रोधन , संतोष कुमार, लब कुश आदि ने संगत।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भिखारी ठाकुर द्वारा लिखित प्रसिद्ध नाटक “बिदेसिया” का मंचन रहा, जिसे श्री सुरेश कुमार हज्जू के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। इस नाटक ने दर्शकों को भोजपुरी संस्कृति, परंपरा और समाज के ज्वलंत मुद्दों से जोड़ा।यह नाटक भिखारी ठाकुर की अद्भुत साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करता है। उनकी कृतियां समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं। “बिदेसिया” ने दर्शकों को भावुक कर दिया और भिखारी ठाकुर की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का कार्य किया।
कार्यक्रम में दर्शकों को भोजपुरी संस्कृति और समाज के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराया गया। “बिदेसिया” नाटक में प्रवासी मजदूरों की समस्याएं, पारिवारिक संघर्ष, और सामाजिक ताना-बाना बड़े प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। नाटक के माध्यम से यह दिखाया गया कि कैसे रोजगार की तलाश में लोग अपने परिवार से दूर चले जाते हैं और उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
नाटक में राहुल कुमार रवि ने बिदेसिया के रूप में अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया। वहीं, “प्यारी सुंदरी” की भूमिका में सामरिका वर्मा और “खोंसिली” की भूमिका में रक्षा झा ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत परिकल्पना प्रियदर्शन पाठक की थी और प्रकाश परिकल्पना रोशन कुमार का था।
दर्शकों से खचाखच भरे प्रेक्षागृह में कलाकारों के प्रदर्शन पर जमकर तालियां बजी। दर्शकों ने कलाकारों की प्रतिभा और नाटक के प्रभावशाली संदेश की भरपूर सराहना की। इस अवसर पर कला और संस्कृति से जुड़े गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कला मर्मज्ञ दर्शकों ने भिखारी ठाकुर के योगदान को याद किया।
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