- डेंगू से बचाव को करायी जा रही है फॉगिंग
बेतिया। डेंगू वेक्टर जनित रोग है। जिसके अधिकांश मामले बरसात के मौसम में देखे जाते हैं। डेंगू मादा एडीज मच्छर के काटने से शरीर में फैलता है। यह एक गंभीर रोग है। इससे बचने के लिए लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ये बातें जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने कही है। उन्होंने कहा कि डेंगू का मच्छर अधिकांशतः दिन में काटता है। यह स्थिर एवं साफ पानी में पनपता है। घर के आसपास जल का जमाव न होने दें। क्यूंकि जल जमाव के कारण पैदा होता है डेंगू का लार्वा। डेंगू होने पर तेज बुखार, बदन, सिर एवं जोड़ों में दर्द और आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, काला पखाना होना आदि इसके लक्षण हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं और अपना इलाज करवाएं। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को पहले डेंगू हो चुका है तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। सीएस ने बताया कि जिलेभर में डेंगू के प्रकोप से बचाव हेतु शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फॉगिंग कराई जा रही है। साथ ही जागरूकता अभियान चलाकर आमजन को प्रेरित किया जा रहा है।
डेंगू के लक्षण होते तुरंत जाँच कराएं:
सीएस ने बताया कि डेंगू लाइलाज नहीं है। इस बीमारी के लक्षण होने पर बिना समय नष्ट किये चिकित्सक से संपर्क करें। डेंगू एवं चिकनगुनिया बुखार की स्थिति में सभी रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। समय पर उपचार करने से मरीज पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है। तेज बुखार के उपचार हेतु एस्प्रीन अथवा ब्रूफेन की गोलियां कदापि इस्तेमाल नहीं करें। इसके लिए पारासिटामोल सुरक्षित दवा है।
एंबुलेंस हेतु टॉलफ्री नंबर 102 पर डायल करें। इलाज के लिए विशेष जानकारी, शिकायत, परामर्श हेतु टॉलफ्री नंबर 104 से संपर्क करें, जो हर दिन 24 घंटे कार्यरत हैं। डेंगू के मरीज के घर के चारों तरफ टेक्नीकल मालाथियॉन की फॉगिंग करायी जा रही है। अनुमंडल अस्पताल में 05 बेड एवं प्प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र / सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 02-02 मच्छरदानीयुक्त बेड तैयार कराया गया है। साथ ही सभी संस्थानों में डेंगू के मरीजों की जांच एवं उपचार की व्यवस्था मुफ्त में उपलब्ध है।
डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव हेतु निम्न उपाय करें:
जिला महामारी पदाधिकारी डॉ अरशद मुन्ना ने बताया कि डेंगू से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर एवं सभी कमरों को साफ सुथरा एवं हवादार बनाएं रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, पानी टंकी एवं घर के अंदर एवं अगल-बगल में अन्य जगहों पर पानी ना जमने दें। आसपास के जगह को साफ सुथरा रखें तथा जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। गमला, फूलदान इत्यादि का पानी हर दूसरे दिन बदलें। जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।