अशोक वर्मा
मोतिहारी : अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन पूर्वी चंपारण मोतिहारी से पांच सदस्यीय टीम कार्यकारी अध्यक्ष अमिता निधि एवं अध्यक्ष श्रीकिशोर पांडे के नेतृत्व में पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण जिले के विभिन्न चंपारण सत्याग्रह स्मृति स्थलों का दौरा किया एवं 1917 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए चंपारण सत्याग्रह की याद को ताजा किया।दल के सदस्यों ने स्वतंत्रता सेनानियो एवं शहीदों के परिकल्पना के राष्ट्र निर्माण का संकल्प लिया। मोतिहारी सत्याग्रह स्मृति स्थल से आरंभ यात्रा नगर के बंजरिया पंडाल शहीद स्थल का भ्रमण करते हुए सुगौली गांधी स्थित गांधी मूर्ति स्थल पर पहुंचकर ए गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। यात्री दल वहां से बेतिया सहीद पार्क पहुंचे जहां 24 अगस्त 1942 में शहीद हुए आठ शहीदों की याद मे बनी मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया ।वहां से यात्री दल वृंदावन, कुमारबाग सत्याग्रह स्मृति स्थलों का भ्रमण करते हुए भितिहरवा गांधी संग्रालय पहुंचे और गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर नमन किया। संस्था द्वारा प्रस्तावित स्मारिका के लिए चित्र संग्रह किया गया । यात्री दल में दोनों अध्यक्षों के अलावां ओरंजेब आलम, श्याम किशोर प्रसाद, मेघना निधि थे।
यात्रा के उद्देश्य पर कार्यकारी अध्यक्ष अमिता निधि एवं मेघना निधि ने बताया कि 106 वर्ष पूर्व महात्मा गांधी चंपारण आकर सफल सत्याग्रह आंदोलन चलाया था जिससे पूरे देश मे चल रहे आंदोलन को शक्ति मिली थी और देश आजाद हुआ । आज तमाम स्मृति स्थल विकसित हो गए हैं लेकिन 1917 में ये तमाम क्षेत्र काफी पिछड़े थे ,आम लोग बीमारी, अशिक्षा ,गरीबी से त्रस्त थे ।गांधी जी ने शिक्षा की व्यवस्था की थी बुनियादी पाठशालाएं खोली थी । पूर्वी चंपारण के ढाका क्षेत्र के बड़हरवा लखन सेन में उन्होंने पहली पाठशाला खोली थी। दूसरी पाठशाला भितिहरवा में तीसरी पाठशाला मधुबन में खोलकर शिक्षा को बढ़ावा दिया था ।डॉक्टर लाल को बुलाकर चिकित्सा सेवा भी उन्होंने दी। गांधी जी चंपारण को शिक्षित समृद्ध और बीमारी मुक्त विकसित जिला बनाना चाहते थे लेकिन चंपारण अब तक वैसा नहीं बन सका । यात्रा के दौरान हम लोगों ने देखा कि खासकर पश्चिमी चंपारण में अभी बहुत ही गरीबी है। यहां जमींदारी प्रथा है। काफी जमीन रखने वाले बड़े-बड़े जमींदार हैं, और काफी भूमिहीन भी है ।सरकार को कानून बनाकर या पहले बने हुए भूहदबंदी कानून को जमीन पर उतारना चाहिए और दोनों चंपारण के सभी भूमिहीनो को जमीन मुहैया कराना चाहिए। यही गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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