
लेखक : Live News 24×7 के लिए सुनील कुमार DIG CRPF रांची
वंदे मातरम् भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में गर्व और एकता की भावना को जगाता है। इस गीत की रचना आधुनिक भारत के महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में की थी। यह गीत पहली बार बंगदर्शन पत्रिका में 7 नवंबर 1875 में प्रकाशित हुआ था, बाद में यह गीत 1882 में उनके उपन्यास “आनंदमठ” में भी शामिल हुआ। वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि मातृभूमि की पूजा और सम्मान का प्रतीक बन गया जिसने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी और स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा और चेतना दी। इसीलिए अंग्रेज़ सरकार ने इसे कई बार प्रतिबंधित करने का प्रयास भी किया।
*गीत का अर्थ और भावना*
“वंदे मातरम्” का अर्थ है— “हे माँ, मैं तुझे प्रणाम करता हूँ।” यहाँ ‘माँ’ से अभिप्राय है भारत माता, जिसकी धरती, नदियाँ, पर्वत, प्रकृति और संस्कृति को इस गीत में दिव्य रूप दिया गया है। यह गीत मातृभूमि की सुंदरता, उर्वरता, समृद्धि और शक्ति का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन करता है। 26 जनवरी 1950 को भारत स्वतंत्र गणराज्य बना और वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया।
*वंदे मातरम् और स्वतंत्रता संग्राम*
सन 1905 में कोलकाता में वंदे मातरम् संप्रदाय की स्थापना हुई जिसने मातृभूमि की पूजा को एक धर्म और मिशन की तरह बढ़ावा दिया। इस संघ के सदस्यों द्वारा प्रत्येक रविवार को वंदे मातरम् गाते हुए प्रभात फेरी निकाली जाती थी। 1906 में बिपिन चंद्र पाल और अरविंदो के संपादन में वंदे मातरम् नामक अंग्रेजी दैनिक अखबार निकला जिसने देश में स्वाधीनता और एकता की भावना को फैलाया। बंदे मातरम ने देशवासियों को औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रभावी ढंग से उत्प्रेरित किया।
*वंदे मातरम् का सांस्कृतिक महत्व*
वंदे मातरम् मात्र एक राष्ट्रगीत नहीं है बल्कि भारतीय राष्ट्रीय पहचान और मातृभूमि के प्रति भक्ति की अभिव्यक्ति है। यह गीत अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध आंदोलन कर रहे क्रांतिकारियों के लिए जोश और साहस की धड़कन बन गया तथा लाखों भारतीयों को स्वाधीनता के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली। वंदे मातरम् आज भी विभिन्न कार्यक्रमों और समारोहों में गर्व से गाया जाता है और इसकी 150वीं वर्षगांठ ९ नवंबर २०२५ को पूरे भारतवर्ष विशेष रूप से मनाई गई।
इस प्रकार वंदे मातरम् केवल एक गीत या शब्दों का संग्रह मात्र नहीं बल्कि भारत की आत्मा, स्वतंत्रता-संग्राम की प्रेरणा और देशभक्ति का अनुपम प्रतीक है। इस गीत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमर भूमिका निभाई। वंदे मातरम् गीत ने देशवासियों के हृदय में देशभक्ति की भावना को जगा कर इतिहास रचा और आज भी हमारे दिलों में अपनी प्रेरणा बनाये हुए है।
यह हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर, मातृभूमि के प्रति प्रेम और भारतीय होने के गर्व का अहसास कराने के साथ साथ हमें यह भी याद दिलाता है कि हमारी मातृभूमि सर्वोपरि है और उसकी सेवा करना हर भारतीय नागरिक का प्रथम कर्तव्य है।
वंदे मातरम्,। जय हिंद। है भारत।
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