- महिला व पुरुष कैदियों को टीबी से बचाव को किया गया जागरूक
- कैंप लगाकर टीबी, एचआईवीं के साथ कई तरह की होती है जाँच
बेतिया। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार कारागार में समय समय पर कैदियों के स्वास्थ्य जाँच की जाती है ताकि कैदियों को गंभीर रोगों से सुरक्षित किया जा सके। इस सम्बन्ध में जिले के बगहा अनुमंडल में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान के अन्तर्गत बगहा के कारागार में कैदियों की टीबी, एचआईवी, शुगर, बीपी के साथ कई अन्य जाँच की गई। इस दौरान 12 महिला कैदियों एवं 195 पुरुष कैदियों की जाँच चिकित्सकों के द्वारा की गई। साथ ही दवाएं भी दी गई। इस दौरान महिला व पुरुष कैदियों को टीबी से बचाव हेतु जागरूक किया गया। वहीं स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा टीबी के संभावित मरीजों का सैंपल कलेक्शन किया गया। चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शिवांगी गुप्ता ने बताया कि कैदियों के शरीर में संभावित एवं छिपे हुए टीबी का ससमय पता लगाकर स्क्रीनिंग कर उन्हें बेहतर उपचार प्रदान किया जाता है जिससे वे टीबी जैसे गंभीर रोग से बच सके।
कैदियों को टीबी से बचाव को किया जागरूक:
अनुमण्डलीय अस्पताल बगहा के परामर्शी रमेश रंजन ने कैदियों को टीबी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बताया कि अगर किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, बुखार, बलग़म में खून आना, वजन में कमी, भूख न लगने की शिकायत हो तो उन्हें अपनी जाँच अवश्य करानी चाहिए। यह बीमारी छिपाने से और भी गंभीर हो जाती है। अगर किसी को टीबी हो तो लगातार इलाज कराएं और भूल से भी बीच दवा बन्द न करें। उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान संतुलित आहार का सेवन करना जरुरी है। जागरूकता से टीबी को समाज से समाप्त कर सकते हैं।
समाज से टीबी उन्मूलन जरुरी है:
अनुमण्डलीय अस्पताल बगहा के उपाधीक्षक डॉ अशोक कुमार तिवारी ने बताया कि टीबी एक गंभीर संचारी रोग है। जिसका समय पर इलाज न होने से एक दूसरे से संक्रमण बढ़ने की संभावना बनी रहती है। टीबी मुक्त समाज बनाने के लिए शिक्षित वर्ग व समाजसेवी संस्थाओं को आगे आकर लोगों को जागरूक करना होगा।
इस मौके पर डॉ तारिक नदीम, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शिवांगी गुप्ता, रमेश रंजन परामर्शी, शिवशरण प्रसाद शाह, जयप्रकाश त्यागी, रामकिशोर शर्माकांत, रामचंद्र प्रसाद शाह आदि उपस्थित थे।
