- 16 लाख लोगों का बनाया गया है आभा आइडी- जिला अनुश्रवण पदा अमानुल्लाह अमन
- रजिस्ट्रेशन बढ़ाने व व्यवस्था मे सुधार को लेकर- राज्य एवं जिला स्तरीय अधिकारियों की हुई बैठक
- यूनिक आईडी की मदद से इलाज कराने में होगी सहूलियत
- आभा आईडी से मरीजों के उपचार, जांच रिपोर्ट, दवाएं, ब्लड ग्रुप की जानकारी तुरंत हो रही है उपलब्ध
मोतिहारी : जिले के मरीजों को अब डिजिटलाइजेशन का फायदा मिल रहा है। ओपीडी में आए हुए मरीजों का आसानी से आभा आईडी का लाभ मिल रहा है। जिससे सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब रजिस्ट्रशेन काउंटर पर लंबी कतार में लगने की जरूरत नहीं है, यह कहना है जिले के जिला अनुश्रवण पदा अमानुल्लाह अमन का। उन्होंने बताया कि 16 लाख लोगों का आभा आइडी बनाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन बढ़ाने के साथ ही व्यवस्था में सुधार करने को लेकर राज्य से आए प्रतिनिधि के साथ जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों की बैठक आयोजित की गईं। वहीं मौके पर डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन ने बताया की डिस्टिक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी बनाया जा रहा है ताकि ऑनलाइन माध्यम से ब्लॉक वाइज मरीजों का स्टेटस की जानकारी, डाटा उपलब्ध हों की सभी पीएचसी, सीएचसी, अनुमण्डलीय एवं सदर अस्पताल मे कितने मरीज, किस बीमारी के आ रहें है, उन्हें कौन सी दवाए चल रही है इसकी जानकारी उपलब्ध हों। उन्होंने बताया की जल्द ही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लैंड लाइन फोन, ऑनलाइन इंटरनेट फैसिलिटी, सीसीटीवी कैमरा, उपलब्ध कराया जाएगा।
क्यूआर कोड को स्कैन करके मरीज स्वयं भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं:
आभा आइडी पर रजिस्ट्रेशन के बाद आभा क्यूआर कोड को स्कैन करके मरीज स्वयं भी संबंधित चिकित्सक के पास इलाज के लिए आसानी से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। उन्होंने बताया की आभा आईडी के प्रचार प्रसार के लिए सरकारी अस्पतालों में पोस्टर लगाये गये हैं, कई प्रखंडों में आभा काउंटर बनाये गये हैं।
16 लाख लोगों का बनाया गया है आभा आइडी:
आभा प्रोजेक्ट के डीसी अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि जिले मे 16 लाख लोगों का आभा आइडी बनाई गईं है वहीं मार्च 2024 मे 25 हजार 9 सौ 29, अप्रैल मे 26 हजार 200, मई मे 21 हजार 6 सौ 84 आईडी बनाई गईं है।
आभा एप्प पर करना होगा रजिस्ट्रेशन:
आभा प्रोजेक्ट के डीसी अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पतालों के ओपीडी काउंटर पर मरीज को लाइन में लगने की जरूरत नहीं हैमोबाइल फोन की मदद से आसानी से आभा आइडी बनाया जा सकता है। इसके बाद मोबाइल द्वारा क्यूआर कोड को स्कैन करना पड़ता है। इसकी मदद से मरीज को एक टोकन नंबर मिलता है जिससे मरीज ओपीडी की पर्ची प्राप्त कर लेता है। अस्पतालों में एक विशेष क्यूआर कोड वाला आभा काउंटर होता है जहां यह सुविधा मिलती है। बताया कि बीते वर्ष अगस्त में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत जिला में हुई थी। जानकारी के अभाव में लोगों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। अब मरीज को इस योजना से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। आभा एकाउंट की मदद से मरीज के पुराने जांच तथा दवा से जुड़ी जानकारी एक रिकॉर्ड के रूप में जमा रहेगी। मौके पर राज्य प्रतिनिधि श्रीधर रेड्डी, डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन, डीपीसी भारत भूषण, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी अमानुल्लाह अमन, पिरामल डीसी अभिषेक गिरी, आभा प्रोजेक्ट डीसी अतुल श्रीवास्तव व अन्य लोग उपस्थित थे।
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