स्वतंत्रता सेनानी  बिंदेश्वरी प्रसाद गुप्ता : दवा बेचने के बहाने लोगों के अंदर देश प्रेम का जज्बा भरते थे

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अशोक वर्मा
मोतिहारी : स्वतंत्रता संग्राम में सेनानियों ने अपनी अपनी विद्या के द्वारा  आम लोगों के अंदर देश प्रेम का जज्बा भरते थे और भारत माता  को आजाद कराने हेतु संघर्ष के लिए प्रेरित करते थे। इसी कड़ी में बिंदेश्वरी प्रसाद गुप्ता का नाम बड़े हीं प्रतिष्ठा के साथ आज भी लिया जाता है।
श्री गुप्ता जी जाने माने पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। अपने फॉर्मूला पर  हीं दवा निर्माण खुद करते थे। देश प्रेम का जज्बा उनके रग रग में था ।स्वभाव के बड़े हीं कड़े थे। उनकी कडक अंदाज में बात करना अंग्रेजों के लिए मुसीबत थी। किसी से भी नहीं डरते थे ।कद काठी से भी मजबूत थे। अंग्रेज  इनसे खौफ खाते थे।
1930 में जब गांधी जी दांडी यात्रा की  तथा नमक सत्याग्रह आरंभ हुआ, विदेशवरी बाबू नमक सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े। नमक बनाकर अंग्रेजों के कानून को तोड़ना उनके दिनचर्चा मे था।  बिंदेश्वरी बाबू नमक बनाकर उस कानून को तोड़कर अंग्रेजों को चुनौती देते थे। नमक आंदोलन में हीं उनकी गिरफ्तारी हुई।  गिरफ्तारी के बाद माफी मांगने का  प्रावधान था लेकिन  बिंदेश्वरी बाबू  ने माफी मांगना तो दूर  थाने में हीं पुलिस अधिकारियों से भिड़ गए । थानेदार ने इन्हें मोतिहारी जेल भेज दिया।  बाद मे भागलपुर कैंप जेल में उनको हस्तांतरित किया गया जहां छह माह की सजा उन्होंने काटी ।जेल से छूटने के बाद आंदोलन से  जुड़े रहे ,समझौता नहीं किए और19 42 के भारत छोड़ो आंदोलन  मे जमकर बवाल किया ।सरकारी कार्यालयों पर झंडा फहराया। आजादी के बाद मोतिहारी के मेन रोड में उन्होंने अपनी दवा की दुकान खोली जो बाद मे गुप्ता ऑप्टिकल के नाम से चश्मे की दुकान हो गई। अस्पताल रोड में उनका अपना निजी मकान है । उन्हें एक पुत्र रामनाथ गुप्ता और पुत्री राजकुमारी गुप्ता है।पुत्री मोतिहारी नगर परिषद की उपाध्यक्ष रह चुकी है।वे प्रखर वक्ता है तथा राजनीति क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। बिंदेश्वरी बाबू का एक  पौत्र प्रशासनिक सेवा में हैं।
बिंदेश्वरी बाबू की मृत्यु मोतिहारी आवास पर 2008 में हुई।
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