- हाथीपांव मरीजों को दिया गया पैरों की देखभाल के लिए किट
गया।हाथीपांव से प्रभावित अंग की देखभाल जरूरी है. प्रभावित अंग की साफ—सफाई से सूजन कम रहता है. नियमित रूप से साबुन पानी से पैर धोयें. पैर की उंगलियों के बीच भी सफाई रखें. हाथीपांव प्रभावित अंग को चोट तथा जख्म से बचायें. चोट लगने या जख्म होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।यह बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने फाइलेरिया मरीजों के बीच एमएमडीपी किट वितरण सह जागरूकता कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया विभाग की ओर से हाथीपांव की देखभाल के लिए एमएमडीपी किट यानि मॉर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसएब्लिटी प्रीवेंशन किट दिया जाता है।स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था सीफार के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान 11 हाथीपांव मरीजों को एमएमडीपी किट प्रदान किया गया है।इस मौके पर सीफार डीसी जुलेखा फातिमा सहित विभाग के अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे हैं।.
दिन में दो बार पैर जरूर धोयें:
डॉ एमई हक ने बताया कि हाथीपांव मरीजों को चिन्हित कर उन्हें एमएमडीपी किट दिया जा रहा है। इसका इस्तेमाल वह प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए करते हैं. इस किट में
किट में मलहम तथा लोशन सहित टब, मग, तौलिया, साबुन हैं। इसके साथ ही मरीज के पांव को धोकर किट के इस्तेमाल का तरीका भी बताया जाता है. कहा कि मरीज घर पर मच्छरदानी लगा कर सोयें. दिन में दो बार कम से कम ठंडे पानी तथा साबुन की मदद से पैर धोयें. फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दवा सेवन कार्यक्रम के तहत दवा सेवन जरूर करें. फाइलेरिया का समुचित इलाज संभव नहीं है. लेकिन शुरुआती दौर में ही बीमारी की पहचान कर इसे अधिक गंभीर होने से रोका जा सकता है।पेशेंट सपोर्ट ग्रूप का सहयोग:
एमएमडीपी किट प्रदान करवाने में फाइलेरिया रोगियों द्वारा तैयार पेशेंट सपोर्ट ग्रूप का भी सहयोग स्वास्थ्य विभाग को मिल रहा है. सदर प्रखंड के मदन तथा मीरा पेशेंट सपोर्ट ग्रूप के सदस्यों ने बताया कि उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में फाइलेरिया मरीजों को आवश्यक जानकारी दी जाती है. साथ ही एमएमडीपी किट प्रदान करवाने, विकलांगता सर्टिफिकेट बनाने आदि कामों में सहयोग किया जाता है।
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