विशेष-बच्चों पर विशेष-दृष्टि आवश्यक, शिक्षक और मातापिता की भूमिका महत्त्वपूर्ण 

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  • तीन दिवसीय सतत पुनर्वास प्रशिक्षण-कार्यशाला के समापन पर विशेषज्ञों ने दिए परामर्श 
पटना। शारीरिक-मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहे विशेष बच्चों पर विशेष-दृष्टि आवश्यक है। विशेष-शिक्षा में प्रशिक्षित शिक्षकों और उनके बच्चों के माता-पिता की भूमिका इसमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। ऐसे बच्चों में ‘जीवन-यापन योग्यता’ और सामाजिक सरोकार बनाने की क्षमता का विकास, तभी हो सकता है, जब पुनर्वास-दल, जिनमें विशेष-शिक्षक, नैदानिक-मनोवैज्ञानिक, पुनर्वास-विशेषज्ञ और ऐसे बच्चों के माता-पिता सम्मिलित हैं, मिलकर कार्य करें।
भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में, गुरुवार से आरंभ हुए, तीन दिवसीय सतत पुनर्वास प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन के अवसर पर शनिवार को अपने अध्यक्षीय उद्गार में, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मूल्यवान और गुणवत्तापूर्ण जीवन और सामाजिक सरोकार विकसित करने के लिए विशेष-बच्चों को ही नहीं, सामान्य बच्चों को भी प्रशिक्षित करना आवश्यक है। विद्यार्थियों को ‘विद्या’ का सही अर्थ समझाया जाना और उन्हें चरित्रवान बनाया जाना आवश्यक है। उन्हें सूचना-संपन्न बनाए जाने से पहले शिष्ट और चरित्रवान बनाया जाना चाहिए। अन्यथा न तो उनका भविष्य बनेगा और न राष्ट्र का।
समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि बच्चे सभी अच्छे होते हैं। उनमें बुराई माता-पिता और शिक्षकों की कमजोरी से आती है। माता-पिता और शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे बाच्चों का उचित मार्ग-दर्शन करें। मानव-शरीर अद्भुत है। इससे बड़ा कोई यंत्र नहीं बना। आवश्यकता है कि इसकी शक्तियों के उपयोग की विधि समझा जाए।
आर्मी आशा स्कूल ऑफ डिफ़रेंटली एबुल्ड चिल्ड्रन,दानापुर की प्राचार्या कल्पना झा, सुप्रसिद्ध नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा नीरज कुमार वेदपुरिया, डा निशांत कुमार, गुलज़ार अहमद, विशेष शिक्षक प्यारे लाल आदि ने अपने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए। आरंभ में युवा गायक और ‘सा रे ग मा पा’ के फ़ायनलिस्ट कैफ़ खान ने अपने गीतों से अतिथियों और प्रतिभागियों का अभिनन्दन किया। अतिथियों का स्वागत संस्थान के विशेष-शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो कपिल मुनि दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रो जया कुमारी ने किया। मंच का संचालन प्रो संतोष कुमार सिंह ने किया। सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र भी दिए गए।
इस अवसर पर, डा संजीता रंजना, प्रो प्रीति कुमारी, प्रो मधुमाला, प्रो चंद्रा आभा तथा विशेष शिक्षक रजनीकांत समेत बड़ी संख्या में प्रतिभागी पुनर्वास-विशेषज्ञ, विशेष-शिक्षक तथा छात्रगण उपस्थित थे।
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