मजबूत देशों के साथ-साथ कमजोर देशों की तरक्की भी भारतीय विदेश नीति का हिस्सा : मुख्य अतिथि, प्रो. मधुरेंद्र कुमार

Live News 24x7
5 Min Read
राजेश कुमार मिश्रा की रिर्पोट
  • विज्ञापन और किसी भी प्रकार के न्यूज हो तो मुझे कॉल करे नीचे दिया हुआ नंबर पर +91-6201024671
  • भारत आज संयुक्त राष्ट्र, G20, और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में निभा रहा है सक्रिय भूमिका:- विभागाध्यक्ष, प्रो. मुनेश्वर यादव
  • “वैश्विक संकट के दौर में भारतीय विदेश नीति की भूमिका” विषय पर राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. अंबेडकर चेयर के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी
लनामिवि दरभंगा : आज दिनांक 5 अक्टूबर 2024 को विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. अंबेडकर चेयर के तत्वावधान में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में “वैश्विक संकट के दौर में भारतीय विदेश नीति की भूमिका” विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
          बतौर मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन पीठ के निदेशक सह नामचीन प्राध्यापक प्रो. मधुरेंद्र कुमार ने कहा कि भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय हित, लोकतंत्र के मूल्यों, मानवाधिकारों के सम्मान और बहुपक्षवाद पर आधारित है। भारत 1961 ई. में गुटनिरपेक्ष देशों की सूची में शामिल हुआ। भारत का सदैव से प्रयास रहा है कि वो शांति का साथ दें और बातचीत के पटल पर किसी भी मुद्दे को सुलझाए। बीते कुछ वर्षों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर देश का दौरा कर रहे हैं। भारत का प्रयास है कि विश्व के सभी देशों से मधुर व प्रगाढ़ संबंध रखा जाय। नेहरू जी से लेकर मोदी जी तक भारत के सभी प्रधानमंत्री का यह लक्ष्य रहा है कि मजबूत देशों के साथ-साथ कमजोर देशों की तरक्की भी भारतीय विदेश नीति का हिस्सा है। इसके तहत कई देशों से व्यापारिक संबंध बढ़ाए गये हैं और कमजोर देशों को मदद दी गयी है। कोरोना जैसे विषमकाल में भी भारत ने कई देशों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध करवाया और राष्ट्र कल्याण से भी ऊपर उठकर मानव कल्याण का संदेश विश्व को दिया है। सामरिक दृष्टिकोण से भी देखें तो भारत युद्ध में नहीं बल्कि भगवान बुद्ध में विश्वास रखता है लेकिन आगे बढ़कर कोई भारत को छेड़ता है तो फिर उसे भारत छोड़ता भी नहीं है। आज भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करने का माद्दा रखता है। आज भारत के पास एक से एक मिसाइल, तोप व हथियार है जिससे वो दुनिया के किसी भी देश से नजर में नजर मिलाकर बातें करने का माद्दा रखता है। आज सामरिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत खुद पर आत्मनिर्भर है। भारत की कूटनीति भी आज मजबूत हाथों में है और अपने कूटनीति के बल पर भारत विश्व के शीर्ष देशों की सूची में शुमार है। आगे उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला।
          अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि आज की संगोष्ठी राजनीति विज्ञान विषय के छात्र-छात्राओं व शोधार्थियों के लिये काफी महत्वपूर्ण है। भारत की विदेश नीति समय दर समय बदलती रही। हर प्रधानमंत्री के कार्यकाल में कुछ न कुछ बदलाव होता रहा है, लेकिन ओवरऑल देखा जाय तो बीते 75 वर्षों में भारतीय विदेश नीति में कुछ समानता दिखी। भारत अपने सभी पड़ोसी देशों से मधुर संबंध बनाकर रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा, समय दर समय सबको विशेष मदद भी दिया जा रहा है। विश्व की प्रमुख शक्तिशाली देशों के साथ भी भारत सदैव से अपने रिश्ते प्रगाढ़ रखे हैं। आर्थिक व व्यापारिक दृष्टिकोण से भी भारत की नीति 1991 से उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण की रही ताकि विदेशी निवेश को बढ़ाया जाय इसके लिये उद्योग-धंधों सहित वीजा नीति को लिबरल किया गया। सांस्कृतिक व शैक्षणिक गतिविधियों के आदान-प्रदान के लिये भी भारत हर देशों से अपना संबंध मजबूत कर रहा है। भारत, संयुक्त राष्ट्र, G20, और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। ओवरऑल देखा जाय तो भारत आज सभी देशों का मित्र और भागीदार का रोल निभा रहा है।
           संगोष्ठी में विभाग की शिक्षिका नीतू कुमारी, शिक्षक रघुवीर कुमार रंजन, शोधार्थी आशुतोष पांडेय, जितेंद्र, रिकी, रामकृपाल आदि उपस्थित थे। मंच संचालन विभाग के वरीय शिक्षक प्रो. मुकुल बिहारी वर्मा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनोज कुमार ने किया।
89
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *