विराट तेजपुंज थे गांधी एवं शास्त्री : डॉ. उमा शंकर सिंह

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गया। अनुग्रह मेमोरियल महाविद्यालय गया के हिंदी विभाग में भाषण-प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें अनेक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ गांधी जी तथा शास्त्री जी के तैल चित्र पर पुष्पार्चन सह माल्यार्पण के साथ हुआ है। छात्राओं द्वारा स्वागत गान की सफल प्रस्तुति के बाद हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. उमा शंकर सिंह ने मानवता की दिव्य गंध गांधी तथा सेवा और त्याग की प्रतिमूर्ति शास्त्री जी के जीवन से जुड़े कई प्रेरणाप्रद प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि ये दोनों महान मनस्वी तथा तपस्वी ही नहीं विराट तेजपुंज थे। इसके साथ-ही-साथ अपने कार्य को नियमित संपादन में विश्वास रखने वाले तथा सही बात को सही ढंग से कहने की कला में माहिर दोनों महामानवों के प्रति काव्यांजलि प्रस्तुत करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि ‘‘जिधर मुड़ा वह जीवन जागा, जिधर झुका रस बरसा। जिधर चला वह उधर जमाना ढरक पड़ा नत सहसा।। स्नेह शून्य मरुभू पर थे वे सुरभित मान सरोवर। ताप तप्त हित सदा बरसने वाले सरस पयोधर।’’  भाषण-प्रतियोगिता में जिन छात्र-छात्राओं ने भाग लिया उनमें आशुतोष कुमार, प्रिंस कुमार, प्रमानंद आजाद, शालिनी कुमारी, सुषमा कुमारी, रानी कुमारी, अंजली कुमारी, प्रभा कुमारी, शान्या कुमारी, गुरिया कुमारी, दिव्या कुमारी आदि प्रमुख थे। इस प्रतियोगिता में सुषमा कुमारी को प्रथम, आशुतोष तथा प्रमानंद आजाद को द्वितीय तथा प्रिंस कुमार एवं अंजली कुमारी को तृतीय स्थान प्राप्त हुए हैं। इन सभी प्रतिभागियों को हिंदी विभाग की ओर से पुस्तक आदि देकर पुरस्कृत किया गया है। कई सप्ताह से निरंतर अस्वस्थ चल रही हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. पुनम कुमारी ने सभी प्रतिभागियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए टैलीफोनिक आशीर्वाद दिया है। प्रतिभागियों ने भी उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए ईश्वर से उनके स्वास्थ्य की मंगलकामना की। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हो गया है।
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