लोकतंत्र की जननी और सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र को तानाशाही जूते के नीचे कुचला जा 25 जून का काला दिन : डा प्रेम कुमार

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गया नगर विधानसभा के नगर कार्यालय में भारतीय जनता पार्टी की बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व कृषि मंत्री सह नगर विधायक डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने के अवधि काला दिन था। भारतीय संविधान की हत्या हुई थी। लोकतंत्र की जननी और सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र को तानाशाही जूते के नीचे कुचला जा रहा था। जिसे तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल का नाम दिया था।
तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन पूरे देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद,लोकतांत्रिक एवं हिटलर शाही फैसला था।
आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे। नागरिकों के अधिकारों को समाप्त करके सरकार की मनमानी शुरू हो गई। इंदिरा गांधी एवं संजय गांधी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को प्रताड़ित कर कैद में डालना शुरू कर दिया। जेल में यातनाएं दी जाने लगी। प्रेस की आजादी समाप्त हो गई। विपक्ष की बोलती बंद कर दी गई। सारे के सारे मौलिक अधिकारों को कुचल दिया गया। सरकार के अन्याय के खिलाफ कोई कुछ बोल नहीं सकता था। ना लिख सकते थे ना कोई दिखा सकते थे।पुलिस के खिलाफ कोर्ट भी नही जा सकते थे।
इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया। जिसमें मुस्लिमों पर कोई दवाब नहीं था। हिंदुओं को पकड़_पकड़ कर जबरदस्ती नसबंदी कर दी जाती थी। चाहे वह कुमारा हो या बिना बाल बच्चे वाला हो कर देते थे नसबंदी। स्कूल के शिक्षकों को 5_5 नसबंदी करवाने का आदेश जारी कर दिया गया,नहीं तो स्थानांतरण की धमकी दी गई।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की जगह प्रधानमंत्री के सचिवालय एवं संजय गांधी में सरकार की सारी शक्ति निहित हो गई। वही फैसला ले रहे थे। आपातकाल के समय ही आंतरिक सुरक्षा कानून मीसा के तहत राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार कर जेल में डाला जाने लगा है। जयप्रकाश नारायण,जॉर्ज फर्नांडिस,घनश्याम तिवारी,अटल बिहारी बाजपेई,मोरारजी देसाई,सहित लाखों कार्यकर्ताओं को घर से पकड़_पकड़ कर जेल में डाला गया है। मैं भी जेल गया था।आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।स्वयंसेवकों ने प्रतिबंध को चुनौती देते हुए मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ सत्याग्रह किया। सरकार के प्रतिबंधों को चुनौती दी। जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय राजनीति इतिहास का काला दिन कहां और आंदोलन में कूद पड़े। बिहार ने इस आंदोलन की अगुवाई की। देशभर के लाखों विद्यार्थियों और युवाओं ने इस आंदोलन में अपनी पूर्णाहुति दी।
संविधान में इंदिरा जी द्वारा कई परिवर्तन कर दिए गए। आज वही पार्टी भाजपा पर आरोप लगाती है कि लोकतंत्र खत्म हो गया। संविधान खतरे में है। चुनाव आयोग पक्ष पाती हो गया। न्यायपालिका दवाब में है।कांग्रेस और इंदिरा जी ने न्यायपालिका के फैसले को नही मानी थी।आज के दिन उसी चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव में जीत होने पर संविधान की शपथ ले सरकार भी कांग्रेस व अन्य दल बना रही है और चला भी रही है।मोदी  के कारण इकट्ठा हुए इन सारे विपक्षी दलों को आप सभी ईवीएम में बटन दबाकर हटाना है। देश की पांचवी से तीसरी अर्थव्यवस्था विश्व में बनने की ओर अग्रसर भारत को पुनः 20 में नंबर पर पहुंचा देंगे। आज के युवाओं को,आज की नई पीढ़ी को इन्हीं बातों को बताने के लिए हम सबको घर_घर जाना होगा।अलख जगाना होगा। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी वरिष्ठ नेता अमर दास , धीरज रौनीयार अशोक गुप्ता, अशोक सहनी मंडल अध्यक्ष गौतम कुशवाहा, पश्चिम मंडल अध्यक्ष युवा प्रीतम कुमार, धीरू सिन्हा, दिवाकर कुमार विनय जैन, दीनानाथ प्रसाद नीतीश कुमार सहित अन्य उपस्थित रहे हैं।
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