बिहार के नियोजित शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। पटना हाईकोर्ट ने बिहार के नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि सक्षमता परीक्षा में फेल होने या शामिल नहीं होने वाले शिक्षक भी पद पर बने रहेंगे। उनकी नौकरी नहीं जाएगी।
पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है। वहीं, इस फैसले से करीब 3.50 लाख नियोजित शिक्षकों को फायदा होगा।
मंगलवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि ऐसे नियोजित शिक्षक जो सक्षमता परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं या जो परीक्षा में शामिल होने के बावजूद पास नहीं हो सके हैं। वे सभी पहले की तरह अपने पद पर बने रहेंगे।
वहीं, संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया हाउस में भ्रामक तौर से कुप्रचारित किया जा रहा है। मीडिया हाउस कह रहे है कि नियोजित शिक्षकों को हटा नहीं सकते। जबकि, बिहार सरकार ने कभी भी हटाने की बात नहीं कही। नियमावली में कहा गया था कि परीक्षा नहीं देंगे या फिर फेल हो जाएंगे। वह नियोजित ही रह जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मीडिया हाउस सरकार को बदनाम करना चाह रही है। सरकार ने अपने एफिडिफिट में साफ कहा है कि मैं नियोजित शिक्षकों को हटाने नहीं जा रहा हूं। शिक्षक संघ समक्षता परीक्षा के विरोध में गए थे। जिस पर कोर्ट ने कुछ नहीं बोला।
दरअसल, बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा और सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सक्षमता परीक्षा आयोजित की थी। शिक्षा विभाग की तरफ से नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा के जरिए पहले तीन मौके देने की बात कही थी, लेकिन बाद में शिक्षक संघ के भारी विरोध किया तो तीन से बढ़ाकर पांच मौके में तब्दील किया गया।
सक्षमता परीक्षा के पहले दौर में करीब एक लाख से अधिक नियोजित शिक्षक उत्तीर्ण हुए हैं। उन्हें चॉइस के रूप में गृह जिला आवंटन किया गया है। सक्षमता परीक्षा पास नियोजित शिक्षकों को जिला आवंटन भी कर दिया गया है। शिक्षा विभाग समक्षता परीक्षा उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों को स्कूल आवंटन करेगा। बीपीएससी पास शिक्षकों के स्कूल आवंटन के तर्ज पर ही नियोजित शिक्षकों का स्कूल आवंटित किया जाएगा।
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