नेगलेक्टेड ट्रॉपीकल रोगों को उपेक्षित श्रेणी से बाहर लाना हो मुख्य उद्देश्य

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  • नेगलेक्टेड ट्रॉपीकल दिवस पर कुष्ठ और फाइलेरिया पर कार्यक्रम
  • 4 फाइलेरिया मरीजों को मिला दिव्यांगता सर्टिफिकेट
मुजफ्फरपुर। नेगलेक्टेड ट्रॉपीकल दिवस का उद्देश्य सिर्फ आयोजनों तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसे उपेक्षित श्रेणी से बाहर लाने के लिए लोगों के बीच इसके रोगों के बारे में जानकारी बेहतर करनी होगी, ताकि इससे आबादी प्रभावित न हो। ये बातें नेगलेक्टेड ट्रॉपीकल दिवस पर मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ ज्ञान शंकर एवं अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुभाष प्रसाद सिंह कह रहे थे। दिवस के आयोजन पर जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि कुष्ठ रोग हो जाने पर कुछ महीने कि कोर्स पर यह ठीक भी हो जाती है, पर फाइलेरिया एक ऐसा रोग है जिसमें लक्षण के उभरने में भी देरी होती है और लक्षण उभरने पर कोई स्थाई इलाज भी मौजूद नहीं है। तभी यह भारत में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारक है। साल में एक बार चलाई जाने वाली सर्वजन दवा का सेवन ही इस बीमारी के प्रसार को रोक सकता है।
चार मरीजों को विकलांगता सर्टिफिकेट:
डॉ सतीश कुमार ने बताया कि नेगलेक्टेड ट्रॉपीकल दिवस के अवसर पर शहरी क्षेत्र में 10 फरवरी से प्रचार प्रसार के लिए फाइलेरिया मरीजों के समूह का पेशेंट प्लेटफार्म बनाया गया है। जो अभियान के दौरान लोगों को दवा खाने के लिए प्रेरित करेगी। इसके अलावा भगवती, जगदम्बा और दुर्गा फाइलेरिया पेसेंट नेटवर्क मेंबर के चार सदस्यों को विकलांगता सर्टिफिकेट तथा बोचहां के सुन्दर पेशेंट प्लेटफार्म के चार सदस्यों का नाम दिव्यांगता सर्टिफिकेट के लिए नामित किया गया है। इसके अलावा बोचहा के पेशेंट प्लेटफार्म के चार लोगों को एमएमडीपी किट भी वितरित किया गया है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ ज्ञानशंकर, एसीएमओ डॉ एस पी सिंह, डीएमओ डॉ सतीश कुमार सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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