सुपौल: जिले के पिपरा प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा योजना में भारी लूट का मामला सामने आया है। बता दें कि प्रखंड क्षेत्र के पथरा उत्तर पंचायत में “पंचायत सरकार भवन से भोला मियां के घर तक फसल सुरक्षा बांध एवं मरम्मति कार्य” में कार्य स्थल पर मात्र 5 मजदूरों के सहारे लगभग पांच लाख रुपये की लागत से यह योजनाएं चलाई जा रही है। जिसका योजना संख्या – 04/23-24 योजना कोड वर्ष 0544009002/FP 20343204 प्राक्कलित राशि 488828 रुपये कार्य प्रारम्भ की तिथि 22-11-2023 कार्य पूर्ण करने की तिथि तीन माह दैनिक मजदूरी दर 228 रुपये कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत पथरा उत्तर। जब महात्मा गांधी रोजगार गारंटी एक्ट (मगनरेगा) योजना में सरकारी दर 228 रुपए प्रति मजदूर भुगतान करने का है तो, 400 रुपये मजदूर को किसलिये भुगतान नगद की जाती है। लेकिन यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि कार्य स्थल पर कार्य कर रहे मजदूरों ने बताया कि मुझे 400 ₹ प्रतिदिन भुगतान मिलता है इस एवज में मैं कार्य कर रहा हूं। यह भी आश्चर्य की बात है कि इतनी लंबी योजनाएं मात्र पांच मजदूर ही क्यों कर रहे हैं ? इसके पीछे सबसे दिलचस्प मामला यह कि इन *फसल सुरक्षा बांध* को पंचायत रोजगार सेवक या कार्यकारी एजेंसी पंचायत द्वारा रातों-रात ट्रैक्टर से जोत कर रोटावेटर चला दिया गया। रोटावेटर से पूरे फसल सुरक्ष बांन्ध को लेवल कर लिया गया। अब उनकी मापी के लिए किनारा बनाना लाजमी था। इसलिए पांच मजदूरों को ठेका देकर उनसे किनारे से मात्र 1 फीट मिट्टी काट कर उसका रूपरेखा तैयार किया जा रहा है। कार्य स्थल पर कार्य कर रहे मजदूरों द्वारा सुरक्षा बांध की ऊपरी भाग का साइड का ही मिट्टी काट कर लेवल किया जा रहा था। दूसरी तरफ सरकार की क रुपए के लागत से बनाई गई पंचायत सरकार भवन के आगे की मैदान को खन्ता (गड्ढा)का रूप देकर उसे कोरदार बनाया जा रहा था। सबसे दिलचस्प बातें तो, यह है केंद्र सरकार की यह योजना मजदूरों को रोजगार देने के लिए यह एक्ट कानून बनाया गया था जिनकी यहां की कार्य एजेंसियों एवं विभग के अभियन्ताओं एवं पदाधिकारियों की द्वारा मिलकर सरकारी रुपये की बंदर बाँट करने में लगे हैं। मगनरेगा योजना में कार्य मजदूरों के द्वारा संपन्न किया जाना था। जिसे कुछ व्यक्तियों द्वारा मजदूरों को ठेका देकर जहां के कार्यकारी एजेंसी द्वारा रोटावेटर से कर विभाग द्वारा रुपए की बंदर बांट करने में केंद्र सरकार की इस योजनाओं में जहां मजदूरों को मजदूरी उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है लेकिन ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है और मिलीभगत से लूटने के चक्कर में लगे हुए हैं। इस बाबत उप विकास आयुक्त सुपौल श्री मुकेश कुमार से मोबाइल से संपर्क कर वस्तु स्थिति की जानकारी दी गई एवं कुछ फोटोज जीपीएस कैमरा से ली गई, भेजी गई।उपविकास आयुक्त सुपौल द्वारा बताया गया कि कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा पिपरा से अभी बात हुई है उनको भेजे हैं वह जाकर देख रहे हैं उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। अब सवाल यह भी उठता है कि जिन अधिकारियों एवं विभाग की मिलीभगत से ऐसे कार्यो को एजेंसी द्वारा अंजाम दिया जा रहा है उसे ही जांच अधिकारी बनाया जाता। यहाँ के स्थानीय लोगों की माने तो मगनरेगा योजना में खुली लूट की छूट के लिये एक पुख्ता प्रमाणिक प्रमाण-पत्र विभाग को मिल रही है। गौरतलब है कि 22-11-2023-को कार्य प्रारम्भ किया गया महज 21(इक्कीस) दिनों में ही कार्य के अंतिम छोर तक कार्य को कैसे सम्पन्न कर लिया गया है। भले ही रुपये की निकासी नहीं हुई होगी, मापी पुस्तिका तैयार नहीं की गई होगी लेकिन कार्य स्थल पर भैतिकी रूप से कार्य का अंतिम रूप दिया जा चुका है। यहां जरूरत है सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड में इनकी जांच निगरानी विभाग से कराने की।
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