दिल्ली में नमाजियों के साथ पुलिस द्वारा किए गए अपमानजनक कार्रवाई के खिलाफ भाकपा माले ने निकाला प्रतिवाद मार्च

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  • मोदी के 10वर्षों के शासनकाल में पुलिस मशीनरी का भी तेजी से सांप्रदायीककरण हुआ है जो संवैधानिक लोकतंत्र के लिए खतरनाक है
  • देश के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाने के लिए मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंके -माले
  • सीएए,एनआरसी,एनपीआर संविधान के खिलाफ है,इसे वापस ले सरकार -माले
अशोक वर्मा
मोतिहारी : भाकपा माले के दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज मोतिहारी में पार्टी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में मुस्लिम समुदाय के साथ पुलिस द्वारा किए गए अपमानजनक व्यवहार और मारपीट की शर्मनाक घटना के खिलाफ जानपुल चौक से गांधी चौक तक आक्रोषपूर्ण प्रतिवाद मार्च निकाला और सभा की।
मार्च का नेतृत्व भाकपा माले जिला सचिव प्रभुदेव यादव,राज्य कमिटी सदस्य विष्णुदेव प्रसाद यादव,जिला के वरिष्ठ नेता भैरव दयाल सिंह,जिला कमिटी सदस्य रूपलाल शर्मा,जीतलाल सहनी, ऐपवा की जिला संयोजक शबनम खातून,सिंधु देवी,अकबर मियां,शेख असहाब, अतिउल्लाह मियां,रामाशीष यादव,सुरेंद्र महतो,दिनेश कुशवाहा,राघव प्रसाद आदि नेताओं ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि सड़क पर नमाज पढ़ना या अन्य धार्मिक आयोजन कोई नई बात नही है।यह सब देश में होते रहा है लेकिन 8मार्च को दिल्ली के इंद्रलोक इलाके में जो पुलिस के द्वारा शर्मनाक कार्रवाई की गई यह देश में पहली घटना है।जुम्मे की नमाज पढ़ रहे लोगों को दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा लात से मारा गया और धक्का मुक्की एवम मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया।वह बहुत ही घृणित और अपमानजनक घटना है।जो न सिर्फ संविधान व लोकतंत्र के खिलाफ है बल्कि मानवता के खिलाफ है।जिसे कोई भी सभ्य एवम लोकतांत्रिक समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।मगर दिल्ली पुलिस प्रशासन सिर्फ दोषी पुलिसकर्मी को निलंबित करके औपचारिकता पूरी कर मामले को रफादफा करना चाहती है जो कहीं से न्यायोचित नहीं है।भाकपा माले मांग करती है कि यथाशीघ्र दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए,उसे गिरफ्तार किया जाए और नौकरी से बर्खास्त किया जाए।
वक्ताओं ने आगे कहा कि मोदी सरकार के 10वर्षों के शासनकाल में सांप्रदायिक नफरत एवम हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी है जो देश के गंगा यमुनी तहजीब के लिए बड़ा खतरा है।इससे देश कमजोर हो रहा है।भाजपा आरएसएस संविधान के खिलाफ काम कर रहा है।वे लोकतंत्र को खत्म कर सांप्रदायिक फासीवादी शासन देश में थोपने की कोशिश कर रहे हैं।आनन फानन में सी ए ए लागू करने की अधिसूचना जारी करना उसी साजिश का हिस्सा है।जिस कानून को देश का दलित,आदिवासी,अल्पसंख्यक ,गरीब मजदूर और लोकतांत्रिक समुदाय ठुकरा चुका है।उसी कानून को मोदी और अमित शाह की जोड़ी देश पर थोपना चाहती है।जो बिल्कुल संविधान विरोधी विभाजनकारी,भेदभावपूर्ण कानून है। यह ऐसे समय में लागू करने की घोषणा की गई है जब देश लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है।इसलिए अब यह जरूरी है कि जनता की मजबूत एकजुटता कायम कर लोकतंत्र व संविधान विरोधी,जनविरोधी मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका जाए।2024 के ऋलोकसभा चुनाव को लोकतंत बचाने की लड़ाई बना दें तभी संविधान बचेगा।संविधान बचेगा तभी देश बचेगा।
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