हेल्थ, आईसीडीएस और जीविका अपना शत प्रतिशत दे तो नहीं होगी चमकी से किसी की मौत: जिलाधिकारी

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  • आईसीडीएस एलएस को अपने क्षेत्र के हर घर का फिर से सर्वे करने का निर्देश 
  • हर बच्चे तक चमकी के बारे में जानकारी पहुंचाने पर जोर 
  • सदर स्थित एनआरसी में बेड की अपेक्षा कम बच्चों पर आईसीडीएस को दी नसीहत 
मुजफ्फरपुर। एईएस में जीरो डेथ को लेकर शुक्रवार को जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में जिला समन्वय समिति की बैठक की गयी। बैठक के दौरान एईएस से निपटने में हर विभाग के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर विस्तृत चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि अगर हेल्थ, आईसीडीएस और जीविका अपना शत प्रतिशत दे तो मुझे लगता है कि इस वर्ष भी चमकी से किसी बच्चे की मौत नहीं होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि जिले ने जिस तरह चमकी के प्रहार को झेला है, ठीक उसी तरह इसे कम करने के निरंतर प्रयास भी किए हैं। तभी चमकी से मृत्यु दर 60 प्रतिशत से जीरो प्रतिशत तक आ सका है। बैठक में जिला वीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार एवम डीपीएम रेहान अशरफ द्वारा पी पी टी के माध्यम से तैयारियों का विस्तृत जानकारी दिया गया। बैठक के दौरान एसकेएमसीएच के डॉ गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि ऐसे तो साल भर चमकी के केस आते रहते हैं, पर जून के दौरान उष्णता के कारण इसकी संख्या तेजी से बढ़ती है। इस समय ही यह जानलेवा भी होता है। चमकी के लिए एसकेएमसीएच में मौजूद व्यवस्थाओं के बारे में बताते हुए डॉ साहनी के कहा कि पीकू में अभी 100 बेड चमकी के लिए सुरक्षित है। मौजूदा समय में बिहार सरकार के आग्रह पर 15 बेड भाभा कैंसर अस्पताल को दी गयी है आवश्यकता पड़ने पर वह वापस ले ली जाएगी। डॉ साहनी ने बताया कि चमकी के कारण 4 से 5 प्रतिशत बच्चे किसी तरह के अपंगता के शिकार हो जाते हैं। इसके लिए उनका फॉलोअप जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा कराया जाता है। अगर कोई चमकी पीड़ित एसकेएमसीएच आता है तो एक मिनट के अंदर उसकी ईलाज शुरू हो जाती है। चमकी पीड़ितों के लिए वार्ड में 11 ट्रांसपोर्ट वेंटिलेटर की भी व्यवस्था है। ब्लड के पूरे एनालिसिस के लिए भी वार्ड में ही व्यवस्था है। इसके अलावा हर 24 घंटे पर चमकी पीड़ित के ब्लड का टेस्ट कराया जाता है। जरूरत पड़ने पर एम्स तथा अन्य रिसर्च संस्थानों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी सेवा ली जाती है। पीकू में एक समय में चार विशेषज्ञ चिकित्सक और पारामेडिकल स्टॉफ और नर्स की भी ड्यूटी लगी होती है। एसओपी के अनुसार सभी तरह का ड्रग सालों भर अस्पताल में मौजूद होती है।
विभागों को तय किए काम:
जिलाधिकारी ने बैठक के दौरान हर विभागों के कार्य का बंटवारा किया। डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि चेतना सत्रों के दौरान चमकी पर एक मिनट का शपथ पत्र बच्चों से रोज पढ़ाया जाय वहीं कॉपियों में चमकी पर जागरूकता के बारे में लिख उनके अभिभावकों से भी हस्ताक्षर कराया जाए, ताकि चमकी के प्रति उनके माता पिता भी जागरूक हो। वहीं जहां नए सरकारी भवन बने हैं वहीं नए तथा जहां दीवार लेखन पुराने पड़ चुके हैं वहां फिर से दीवार लेखन कराया जाए। इसके अलावा आईसीडीएस डीपीओ को निर्देशित किया गया कि वे अपने हर एलएस से एक बार फिर से घर घर से जीरो से 15 साल तक के बच्चों की सूची बनाएं। इसके अलावे उन्हें अपने क्षेत्राधिकार के हर भौगोलिक एवं सेंटर की वस्तु स्थिति पता रहे। बैठक के दौरान जिला पंचायती राज पदाधिकारी की गैर मौजूदगी पर जिलाधिकारी ने नाराजगी दिखाई। वहीं पीडीएस के हर दुकानों के द्वारा एवं गाड़ी का इस्तेमाल चमकी पीड़ितों को पहुंचाने में करने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने बताया कि किसी भी वाहन से चमकी पीड़ितों को पहुंचाने पर 400 से 1200 (दूरी के अनुसार) रुपए दिए जाएगें। जीविका को निर्देशित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि करीब 90 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका की पहुंच है। ऐसे में अगर हर जीविका समूह अपने यहां चमकी को लेकर जागरूकता करे तो घर घर तक चमकी की जानकारी पहुंचाई जा सकती है। जिलाधिकारी या कोई भी वरीय पदाधिकारी कभी भी उन जागरूकता सत्रों में जाकर शामिल हो सकते हैं।  इसके अलावे अन्य विभागों से भी जिलाधिकारी ने सहयोग की अपेक्षा की।
पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करें बच्चे:
जिलाधिकारी ने बच्चों में पोषण समस्या पर बाते करते हुए कहा कि अगर हर बच्चे को ठीक से खाना पानी मिले तो चमकी की समस्या से बचा जा सकता है। एनआरसी में 20 बेड पर 17 बच्चों की जानकारी पर जिलाधिकारी ने कहा कि यह हर सीडीपीओ की जिम्मेवारी है कि वे अपने क्षेत्र के कुपोषित बच्चों के माता पिता को एनआरसी आने के लिए मोटिवेट करें। अभिभावकों को एनआरसी में दी जाने वाली सुविधाओं से अवगत कराएं।
बैठक में जिला परिषद अध्यक्षा रीना कुमारी, जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन, उप विकास आयुक्त आशुतोष द्विवेदी, सीएस डॉ ज्ञानशंकर, जिला भीबीडीसी पदाधिकारी सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार, डीपीएम रेहान अशरफ, डॉ गोपाल शंकर सहनी, डीपीआरओ दिनेश कुमार सहित अन्य विभाग एवम सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।
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