लाइलाज नहीं लकवा, समय पर लक्षण पहचान बचाएं पीड़ित की जान

5 Min Read
  • दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में झेल रहे स्ट्रोक (लकवा) का प्रभाव
गया।स्ट्रोक लकवा एक न्यूरो इमरजेंसी है, जिसका इलाज संभव है. अगर मरीज को “गोल्डन आवर्स” पहले 4.5 घंटे के अंदर नजदीकी अस्पताल या स्ट्रोक सेंटर पहुंचाया जाये तो अत्यावश्यक मस्तिष्क कोशिकाओं के स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त से होने वाली मृत्यु या आजीवन विकलांगता से बचाया जा सकता है
यह जानकारी राजधानी पटना स्थित न्यूरो व ट्रॉमा स्पेशलिस्ट मेडाज हॉस्पिटल के प्रशिक्षित स्टाफ ने गाँधी मैदान, गया में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी है  पटना से स्ट्रोक दिवस पर रवाना हुए जागरूकता वाहन।
आम लोगों में स्ट्रोक के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जागरूकता वाहन के साथ गया पहुंचे मेडाज हॉस्पिटल के प्रशिक्षित स्टॉफ ने बताया कि इस जागरूकता वाहन को अस्पताल के डायरेक्टर व चीफ कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट प्रो (डॉ) जेड आजाद ने विश्व स्ट्रोक दिवस पर हरी झंडी दिखा कर रवाना किया है. ऐसे कई वैन राज्य के विभिन्न जिलों में घूम-घूम कर लोगों को स्ट्रोक (लकवा) के कारण, लक्षण, इलाज व इस से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक कर रहे हैं.
लकवा के इलाज में हर मिनट महत्वपूर्ण:
हॉस्पिटल के प्रशिक्षित स्टॉफ ने बताया कि स्ट्रोक दुनिया में विकलांगता का प्रमुख और भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है।दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में स्ट्रोक (लकवा) का प्रभाव झेलते हैं. यह किसी को भी और किसी उम्र में हो सकता है। स्ट्रोक के संकेत व लक्षणों को जल्दी पहचान कर इस के प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक के इलाज में हर मिनट महत्वपूर्ण है. आपकी तत्काल कार्रवाई पीड़ित की मस्तिष्क क्षति और दीर्घकालीन विकलांगता को रोकने में मदद कर सकती है. इसलिए जरूरी है कि लोग इसके लक्षणों को पहचानें और किसी में भी यह लक्षण दिखने पर उसको तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर या अस्पताल तक पहुंचाएं. स्ट्रोक का शिकार होने वाले हर चार में से एक व्यक्ति को पुन: स्ट्रोक की संभावना बनी रहती है. धूम्रपान से बचाव तथा ब्लडप्रेशर, ब्लड शुगर और हाइ कॉलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण कर इसे रोका जा सकता है।
ऑडियो-वीडियो कंटेट से लोगों में फैला रहे जागरूकता:
जागरूकता वाहन के साथ चलनेवाले कर्मी पंपलेट और बेहद सरल आडियो-वीडियो कंटेंट के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इसके लिए एजुकेशनल कंटेट विशेषज्ञों द्वारा सरल भाषा में तैयार किया गया है. पटना से निकलने केबाद यह जागरूकता वाहन अब तक वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, फारबिसगंज, अररिया ,किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, मधेपुरा, सुपाल, खगड़िया, बेगूसराय, मुंगेर, भागलपुर, नवादा , बिहारशरीफ के कई प्रखंडों में घूम चुके हैं. अगले दो महीने तक यह वाहन इसी तरह अन्य जिलों में घूम-घूम कर जागरूकता संदेश देंगे। पिछले साल भी ऐसे कई स्ट्रोक जागरूकता वाहन जिलों में रवाना किये गये थे।
न्यूरो व ट्रॉमा के लिए मेडाज राज्य का उत्कृष्ट संस्थान:
हॉस्पिटल के प्रशिक्षित स्टाफ ने बताया कि मेडाज अस्पताल न्यूरो व ट्रॉमा से जुड़ी तमाम बीमारियों के इलाज में सूबे के उत्कृष्ट संस्थानों में से एक है. प्रतिष्ठित संस्थाओं ने कई दफे सम्मानित कर यह साबित भी किया है. हॉस्पिटल में स्ट्रोक से संबंधित आकस्मिक घटना व इलाज को लेकर विशेषज्ञ चिकित्सकों व अत्याधुनिक उपकरणों के साथ रियायती दरों पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
स्ट्रोक के लक्षण सीख बचाएं किसी का जीवन व उसके चेहरे की मुस्कान:
FAST से पहचानें स्ट्रोक पीड़ित को ?
F – चेहरे का एक भाग झुकने लगे या उस पर नियंत्रण समाप्त हो जाये
A – बांह में कमजोरी महसूस हो, व्यक्ति हाथ उठाने में असमर्थ महसूस करे
S – बोलने में परेशानी या लड़खड़ाहट महसूस हो
T – तब यह सही समय है एंबुलेंस बुलाने और उनको बताने का कि यह स्ट्रोक है.
23
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *