बदलते दौर में निरोगी रहने के लिए जीवन शैली में बदलाव जरूरी : डॉ राजेश श्रीवास्तव

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अशोक वर्मा
मोतिहारी : धन्वंतरी एवं लक्ष्मी पूजनोत्सव के अवसर पर आयूष द्वारा आयोजित समारोह में जिले के जाने-माने होम्योपैथ चिकित्सक डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव ने  धनवंतरी देवता के चित्र पर पुष्प अर्पण करने के बाद उपस्थित  जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण असंतुलन मानव जीवन के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गयी है इसलिए समय की चेतावनी को देखते हुए मनुष्य को अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा ।संयमित जीवन शैली अनेक बीमारियों से सुरक्षित रखता है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथ में वर्तमान और भविष्य में होने वाले बीमारियो के बारे मे बताया गया है । पर्यावरण  में तेजी से हो रहे बदलाव का सामना करने के लिए अनेक नई-नई दवाईयां आ गई है जिसका काफी अच्छा प्रभाव पड़ रहा है। कोरोना काल में सभी लोगों ने होम्योपैथिक एवं आयुर्वेद की शक्ति को देखा है और कम पैसे में काफी लोगों को जीवन दान मिला है । कोरोना ने एक सबक भी सिखाया कि जीवन शैली में परिवर्तन करें। भाग दौड़ की जिंदगी, असमय भोजन  अधिक मांसाहारी भोजन, और व्यसन लेना कई बीमारियों को जन्म दे रहा है। उन्होंने  यह भी कहा कि  चिकित्सा जांच के दौरान नये नये लक्षण देख हैरान  हो जाता हूं।  नई- नई बीमारियों को देख परेशानी भी होती है, लेकिन होम्योपैथ में लक्षण आधारित दवा देने की व्यवस्था है और उसी को आधार बनाकर  बीमारियों से  लोगों को निजात दिला रहा हूं। डॉक्टर श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि जिस तरह सूर्यास्त के बाद पशु पक्षी अपने घोंसले में आ जाते हैं एवं भोजन की चाहत उनकी खत्म हो जाती है तथा सूर्योदय के पहले ब्रह्म मुहूर्त में पशु पक्षियों की चहचहाहट होती है और फिर सूर्य भगवान का उदय होता है। यह मनुष्यों के लिए एक अति प्रेरक बात है, इससे हमें सबक लेनी चाहिए। सूर्यास्त के  पहले अगर भोजन हो जाए तो उत्तम या हर हालत में 8:00 बजे रात्रि के पहले भोजन कर लिया जाए ।संतुलित भोजन हीं ले, मांसाहारी भोजन को यथासंभव छोड़ दे तो अच्छा है अगर नहीं छूटता है तो बहुत कम  लें।  रात्रि का भोजन काफी हल्का लें और रात्री 9 बजे से 10 बजे के बीच  निश्चित हीं सो जाएं ।सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे परमात्मा  का अभिवादन करें और अपने दिनचर्या को आरंभ करें, लेकिन ईश्वरीय मर्यादा नियम का पालन करते हुए आगे बढ़े। बीमारी होने के बाद दवा दी जाती है, प्रयास  हो कि बीमारी हो ही नहीं। इन बातो को अगर लागू किया जाय तो लंबी और निरोगी काया होगी।  कार्यक्रम में उपस्थित अन्य कई डॉक्टरों ने भी संबोधित किया जिसमें आयुर्वेद, एलोपैथ एवं यूनानी के डॉक्टर भी थे।  इस विषय पर सभी एकमत थे कि भाग दौड़ के जीवन में थोड़ा परिवर्तन करें और स्वस्थ रहकर स्वस्थ भारत के निर्माण में अपने योगदान दें।
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