भारत की पहचान है आपसी प्रेम मोहब्बत और भाईचारा

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  •   भारत एक फूलों की क्यारी है जिसमें रंग-बिरंगे फूल खिले हुए है-अमर
अशोक वर्मा
मोतिहारी।”ढाई आखर प्रेम” पदयात्रा जत्था गंगा-जमुनी तहजीब की ऊष्मा से भरा स्वतंत्रता, समता, न्याय और एकजुटता को फिर से समाज में स्थापित करने के उद्देश्य से की जा रही है। जिससे नफरत, विभाजन, अहंकार को मिटाते हुए हर हृदय में एक दूसरे के प्रति प्रेम की स्थापना हो सके। इस यात्रा में देश के विभिन्न राज्यों के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना जगाने वाले कलाकार अपनी कला को प्रदर्शित करते हुए चल रहे हैं। उक्त बातें भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने मंगलवार को कही। वे चंद्रहिया स्थित महात्मा गांधी आश्रम प्रांगण में पदयात्रा लेकर पहुंचे थे। वहीं झारखंड प्रगतिशील लेखक संघ के उपाध्यक्ष पंकज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आज समाज में खाई बढ़ती जा रही है। हर दिल को दिल से जोड़ने की जरूरत है। महात्मा गांधी के उद्देश्यों को आत्मसात कर विश्वविजेता बनने की राह आसान हो सकती है। जबकि
हरिश्चन्द्र चौधरी ने कहा कि पदयात्रा जत्था सोमवार को गांधी ग्राम जसौली पट्टी स्थित महात्मा गांधी एवं बाबू लोमराज सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर पदयात्रा का शुभारंभ किया गया। इस दौरान “ढाई आखर प्रेम का पढ़ने और पढ़ाने आये हैं, हम भारत से नफरत का हर दाग मिटाने आये हैं।” एवं कबीर का दोहा ” ऐसी बानी बोलिये मन का आपा खोए, औरन को शीतल करे, आपहूं शीतल होए” गाते-गुनगुनाते सांस्कृतिक जत्था पदयात्रा को आगे बढ़ाते हुए बंगरी होती हुई झखरा पहुंच कर रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम कर लोगों में प्रेम-स्नेह का सफलता पूर्वक बीजारोपण किया। झखरा के पंसस योगी मांझी एवं लालबाबू मांझी के आतिथ्य में विश्राम हुआ। मंगलवार की सुबह झखरा से प्रभात फेरी करते हुए पदयात्रा जीवधारा चौक पर पहुंची। जहां नुक्कड़ सभा आयोजित कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से दिलों को जोड़ने का प्रयास किया। जीवधारा स्थित सलेमपुर पंचायत के मुखिया उपेंद्र पासवान के यहां भोजनादि के बाद पदयात्री चंद्रहिया स्थित गांधी आश्रम पहुंचकर कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस क्रम में पौधरोपण भी किया गया। इप्टा के राष्ट्रीय सचिव मंडल सदस्य इंदुभूषण ने बताया कि यह पदयात्रा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पदचिन्हों को स्पर्श करते हुए चंपारण के चंद्रहिया, तुरकौलिया के नीम का पेड़, बंजरिया के अजगरी स्थित बत्तख मियां के मजार होते हुए 14 अक्टूबर को गांधी संग्रहालय स्मारक मोतिहारी पर पहुंचकर बिहार पड़ाव के पदयात्रा का समापन करेगी। बिहार जत्था के सहयोगी के रूप में अमर संयोजक, विनय कुमार एवं मंकेश्वर पांडेय सह संयोजक, अजहर हुसैन अंसारी, दिग्विजय कुमार, हामिद रजा, एवं गिरीन्द्र मोहन ठाकुर, विजय उपाध्याय, रंजीत गिरि इस यात्रा की सफलता के लिए जुटे हैं। उस यात्रा के सहयोगी संस्थाओं में भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा), बिहार,  बिहार महिला समाज, दलित अधिकार मंच, पटना, आइडिया, मोतिहारी, जन संस्कृति मंच बिहार, जनवादी लेखक संघ बिहार,  लोक परिषद, महात्मा गांधी लोमराज सिंह पुस्तकालय, पट्टी जसौली, प्रगतिशील लेखक संघ, बिहार, सीताराम आश्रम, बिहटा, पटना, प्रेरणा ( जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा) शामिल है। पदयात्रा को सफल बनाने में योगी मांझी, गिरीन्द्र मोहन ठाकुर, विजय उपाध्याय, रंजीत गिरि, हरिश्चन्द्र चौधरी, मुखिया उपेन्द्र पासवान डॉ पी पी स्टीफन सहित सैकड़ों ग्रामीण  जुड़े थे।
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