अशोक वर्मा।
मोतिहारी। नगर के जमला रोड मे जिले के जाने-माने समाजवादी नेता एवं विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी प्रमोद कुमार ,सिंह की 26 वीं पुणय स्मृति दिवस बड़े ही स्नेह आदर सम्मान और प्यार पूर्वक मनाई गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन भाजपा नेता लाल बाबू सिंह एवं अन्य अतिथि गणों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेड क्रॉस सोसाइटी के जिला सचिव विभूति नारायण सिंह ने कहा कि राजनीति में तो विधायक बनने के लिए विभिन्न दलों में लंबी लाइन लगी हुई है लेकिन प्रमोद कुमार सिंह जिस तरह से लोगों के दर्द को अपने सीने में लेकर चले तथा गांव-गांव गली गली जाकर समस्याओं की सूची बनाकर उसका समाधान किया करते थे वैसा ही जनप्रतिनिधि होना चाहिए। लेकिन किसी की नजर उनपर लग गई और वे समय के पहले ही चले गए। उनका आदर्श सिद्धांत आज भी जिंदा है। पूर्व विधान परिषद बबलू गुप्ता ने कहा कि प्रमोद सिंह में जरा भी घमंड नहीं था। एक व्यवसाय के सिलसिले में हम लोग आमने-सामने हुए थे लेकिन उन्होंने कहा कि आप तो मेरे छोटे भाई है आप ही आगे रहिए ।वे हमेशा अपने से छोटों को आगे बढ़ाते में थे ।यह उनकी विशेषता थी। अध्यक्षीय भाषण में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल बाबू सिंह ने कहा कि आज से 26 वर्ष पूर्व किसी ने नहीं सोचा था कि इतना होनहार नेता हम लोगों के बीच से चला जाएगा। वह हर पल गरीबों और जरूरतमंदों के लिए खड़ा रहते थे, यहां तक अपना भोजन तक भी दूसरे को खिलाकर बिना भोजन किये सो जाते थे। ऐसा था मेरा प्रमोद कुमार। लेकिन प्रकृति के आगे किसी की नहीं चलती है शायद भगवान को भी अच्छे लोगों की ज्यादा जरूरत है इसलिए उन्होंने 26 वर्ष पूर्व प्रमोद भाई को बुला लिया ।उन्होंने कहा कि 1995 में प्रमोद कुमार चुनाव लड़े थे। उनकी राजनीतिक यात्रा पर उन्होंने कहा कि विभिन्न दलों से वे हुए जुड़े रहे लेकिन समाजवादी खेमा के ही रहे। अंतिम दम तक वे उस सिद्धांत को लेकर चले । श्रद्धांजलि समारोह में काफी लोगों ने विचार व्यक्त किये। संबोधित करने वालों में रुदल सिंह, शेख मोहम्मद वकील, मंसूर आलम, सुभाष सिंह, लालबाबू सिंह के अलावा काफी अन्य लोग थे। सभी ने एक स्वर से प्रमोद कुमार को अति संवेदनशील एवं जनता की लड़ाई लड़ने वाला बताया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि पिता के विरासत को उनके पुत्र सुभाष सिंह आगे बढ़ा रहे हैं और जिस तरह प्रमोद सिंह ने जनता की सेवा की उनके पुत्र भी उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं , ऐसा लगता है कि प्रमोद जी हमारे बीच आज भी मौजूद है। कार्यक्रम को अन्य कई लोगों ने संबोधित किया। लेकिन जब प्रमोद सिंह के पुत्र सुभाष सिंह माइक पर आए तो इतने अधिक भावुक हो गए कि बोल भी नहीं पाए और उनका गला अवरुद्ध हो गया और आंखों में आंसू छलक गए, दो शब्द ही उन्होंने कहा कि मेरे पिता मुझे बचपन में ही छोड़ कर चले गए , मैं सेवा करता रहूंगा और उनके अधूरे कार्यों को पूरा करूंगा।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने प्रमोद कुमार सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।