दीदजी फाउंडेशन संस्कारशाला में सिलाई केन्द्र में प्रशिक्षित महिलाओं को मिला सम्मान

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  •  सिलाई प्रशिक्षण केंद्र से महिलाओं को स्वावलंबन आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल रहा है : डा. नम्रता आनंद
पटना,सामाजिक संगठन दीदीजी फाउंडेशन ने राजधानी पटना के कुरथौल के राजपूताना स्थित फुलझड़ी गार्डन में सावन मिलन समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में सिलाई में प्रशिक्षित महिलाओ और लड़कियों को सर्टिफिकेट, मोमेंटो औश्र अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया
गया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलित कर गयी । इसके अवसर पर बतौर अतिथि समाजसेवी मिथिलेश सिंह, दिवाकर कुमार वर्मा, राकेश कुमार,प्रवीण कुमार बादल, सुचित्रा झा, अनुरााधा मिश्रा, मनीषा कुमारी मौजूद थी जिन्हें सम्मानित किया गया।सिलाई शिक्षक सुनीता देवी, रानी देवी और सुनीता मिश्रा को सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ काम के लिये अंजली कुमारी, शाह ममता और पल्लवी को सम्मानित किया गया।पूजा सावन क्वीन वहीं सुमन देवी मिसेज सावन क्वीन बनीं।
     सावन मिलन कार्यक्रम में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और एक-दूसरे को सावन की शुभकामनाएं दी।मौके पर गीत-संगीत के अलावा महिलाओं ने तरह-तरह के खेल का भी आनंद लिया। इस अवसर पर दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापक डा. नम्रता आनंद ने कहा, सावन का महीना बहुत पवित्र महीना होता है।सावन मिलन समारोह हमलोग हर साल आयोजित करते हैं। इस कार्यक्रम के जरिए एक-दूसरे से भी मेल मिलाप हो जाता है. ऐसे कार्यक्रम हमें हमारी संस्कृति से जोड़ते हैं। भगवान शिव को भी हरा रंग प्रिय होता है। इसी कारण से सावन के महीने में हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से हर मनोकामनाएं पूरी होती है
      डा. नम्रता आनंद ने बताया कि संस्कारशाला में 15 से अधिक बैच हो चुके हैं, जिसमें 500 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। संस्कारशाला में महिलाओं को तीन महीने तक सिलाई का प्रशिक्षण दिया जाता है।संस्कारशाला में महिलाओं को सिलाई का काम सिखाकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। सिलाई प्रशिक्षण केंद्र से महिलाओं को स्वावलंबन आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल रहा है। महिलाएं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तथा कहीं अन्य स्थान पर जाकर रोजगार नहीं कर सकती। ऐसे में दीदीजी फाउंडेशन ने उन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कारगर कदम उठाए हैं। महिलायें सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने घर में ही बैठकर सिलाई कार्य करके अपना जीवन उपार्जन कर सकती है।इस अवसर पर रंजीत ठाकुर, संस्कारशाला के कई बच्चे समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
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