जनकुआक्टा के अध्यक्ष प्रो० अखिलेश कुमार राय एवं महामंत्री डॉ० अवनीश चन्द पाण्डेय ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए बताया किनअखिल भारतीय विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (ए0आई0फुक्टो) के आह्वान एवं उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुपुक्टा) के निर्देश पर जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालयीय शिक्षक एसोसिएशन (जनकुआक्टा) आज दिनांक 01.08.2023 को नई शिक्षा नीति 2020 एवं नई पेंशन योजना के विरोध में प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों की भाँति राष्ट्रव्यापी एवं प्रदेशव्यापी विरोध में शामिल होकर राष्ट्रीय एवं प्रदेश संगठन के साथ कदम से कदम मिलाते हुए इन दोनों नीतियों का विरोध कर रहा है। पूरा देश जान रहा है कि समान नागरिक संहिता के एजेण्डे को लेकर चलने वाली राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं भारतीय जनता पार्टी स्वयं सेना अधिकारी, शिक्षक एवं कर्मचारी वर्ग के साथ समान नागरिक संहिता का उल्लंघन कर रही है। देश की समस्त विधान सभाओं, विधान परिषदों, लोक सभा एवं राज्य सभा के सदस्यों को पुरानी पेंशन से आच्छादित करने एवं उसका उनको लाभ देने में व सेना के जवानों, देश के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों को पुरानी पेंशन योजना से वंचित करने में समान नागरिक संहिता का उल्लंघन नहीं समझ पा रही है। आज की ताजा रिपोर्ट के अनुसार जिस प्राइवेट सेक्टर में नई पेंशन स्कीम के तहत पैसा लगाकर देश की सेना के जवानों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की भविष्य निधि को बाजार के हवाले किया गया है उसका ग्रोथ रेट बचत खाते से भी कम है। उसके बावजूद भाजपा सरकार के नुमाइंदे इसका फायदा गिनाते हैं। यह बेहद ही गैर संवैधानिक एवं जनता को धोखा देने वाली हठधर्मिता है। दूसरी तरफ नई शिक्षा नीति 2020 में प्रदेश के सभी कुलपति विश्वविद्यालय स्तर पर इसे लागू करने तथा ठीक ढंग से संचालित करने व कराने में विफल है किन्तु अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ये ऐसी खो चुके हैं कि राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्तर की उच्च शिक्षा सम्बन्धी मीटिंग में मूक दर्शक के अतिरिक्त इनकी कोई अस्मिता नहीं रह गयी है। पढ़ाई के नाम पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में दूसरा, चौथा, छठा व आठवां सेमेस्टर शून्य के कगार पर रहता है। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को “परीक्षा कराओ एजेन्सी” बनाकर रख दिया गया है। बी०ए० प्रथम वर्ष की दो सेमेस्टर की परीक्षा पास करने के लिए दो मिड टर्म परीक्षा, दो मिड टर्म प्रेक्टिल परीक्षा, दो सेमेस्टर परीक्षा, दो सेमेस्टर प्रेक्टिल परीक्षा, 6 वोकेशनल कोर्स की परीक्षा, फिर फेल विद्यार्थियों की दो बैक पेपर परीक्षा अर्थात एक वर्ष में 12 से 14 परीक्षायें एवं 12 से 14 बार मूल्यांकन का कार्य लगभग प्रतिवर्ष चल रहा है। विश्वविद्यालय को अमूमन मूल्यांकन कराने में डेढ़ माह (45 दिन) लगते हैं। दो सेमेस्टर का मूल्यांकन कराने में विश्वविद्यालय लगभग 3 माह समय लेता है। किन्तु उतने ही विद्यार्थियों के दो मिड टर्म परीक्षा का मूल्यांकन करने, दो मिड टर्म प्रेक्टिकल का मूल्यांकन करने, दो सेमेस्टर प्रेक्टिल परीक्षा का मूल्यांकन करने व 6 वोकेशनल कोर्स का मूल्यांकन करने में लगभग उतना ही समय खर्च होता है। शिक्षक पठन-पाठन का कार्य छोड़कर लगभग 6 माह मूल्यांकन में खर्च करते हैं और लगभग 3 माह परीक्षा कराने में खर्च होता है। वहीं यू०जी०सी० के मानक के हिसाब से निर्धारित कक्षायें भी चलना अनिवार्य है। यू०जी०सी० के मानक और नई शिक्षा नीति 2020 के तय परीक्षा प्रणाली व मूल्यांकन प्रणाली में कोई सामंजस्य नहीं है। किन्तु नई शिक्षा नीति के परीक्षा प्रणाली व मूल्यांकन प्रणाली को जबरदस्ती लागू कराने से यू०जी०सी० के मानक के हिसाब से शिक्षण कार्य नहीं हो पा रहा है और यदि शिक्षण कार्य ईमानदारीपूर्वक किया जाय तो एक वर्ष में 12 से 14 परीक्षायें और फिर उन परीक्षाओं का मूल्यांकन संभव नहीं है। पूरे प्रदेश के विश्वविद्यालय मूल्यांकन का अंक चढ़ाने, मार्कशीट बनाने, कापी छापने, पेपर बनाने, अंक सुधार एवं बैक पेपर का अंक चढ़ाने आदि कार्यों के लिए प्राइवेट एवं पूँजीवादी एजेन्सियों पर निर्भर हैं। ये एजेन्सियॉ व विश्वविद्यालय प्रशासन 60 से 70 प्रतिशत अंकपत्रों में त्रुटि रखकर सुधार के नाम पर विद्यार्थियों का आर्थिक एवं मानसिक शोषण कर रही हैं। जितनी बार परीक्षायें हो रही हैं उतनी ही बारम्बारता में अंकपत्रों में अशुद्धियां बढ़ रही हैं और उसी अनुपात में विद्यार्थियों का दोहन व शोषण विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बदस्तूर जारी है। विश्वविद्यालयों में कर्मचारी या तो नहीं हैं या घटते जा रहे हैं और नई शिक्षा नीति के तहत परीक्षाओं का अम्बार एवं अंकपत्रों में बार-बार अशुद्धि विद्यार्थियों के शोषण का नया जरिया बन चुका है और विश्वविद्यालय शोषण एजेंसी बनता जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण गोरखपुर के कुलपति की एजेंसियों पर निर्भरता शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का शोषण एवं अवहेलना, फीस में
बेतहाशा वृद्धि और कुलपति एवं छात्रों के बीच मारपीट की घटना कानपुर व आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति पर लम्बे समय तक भ्रष्टाचार की खबर का मीडिया में छाये रहना इसके ताजा उदाहरण हैं। जनता के प्रतिनिधियों का इन महत्वपूर्ण घटनाओं से असंवेदनशील रहना एवं उन्हें महत्व न देना समाज के हर वर्ग के विद्यार्थियों को एवं उनके अभिभावकों को रोज विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का चक्कर काटना और निष्परिणाम घर वापस लौटना एक आम दिनचर्या हो चुकी है। जबकि वे प्रतिनिधि जिनका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उन्हीं के बीच से ये विद्यार्थी व अभिभावक आते हैं। विश्वविद्यालयों के कुलपति प्राइवेट एजेंसी व सरकार के बीच बिचौलिये के अतिरिक्त कुछ नहीं रह गये हैं। वे
अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं बौद्धिक गरिमा खोते जा रहे हैं और शिक्षा, शिक्षक एवं विद्यार्थी हितों को छोड़कर प्राइवेट एजेंसियों एवं सरकार के दो जबड़ों के बीच जिह्वा की तरह शिक्षा व्यवस्था को ताख पर रखकर स्वाद चख मशीन में तब्दील हो चुके हैं। इस विरोध प्रदर्शन में सभी महाविद्यालयों के शिक्षक अपने-अपने महाविद्यालयों पर आज धरना प्रदर्शन किये जिसमें देवेन्द्र पी०जी० कालेज बेल्थरारोड के डॉ० समरजीत बहादुर सिंह के नेतृत्व में बजरंग पी०जी० कालेज, दादर में, डॉ० अशोक सिंह यादव एवं डॉ० सच्चितानन्द मिश्र के नेतृत्व में, मथुरा पी०जी० कालेज में डॉ० बब्बन राम, डॉ० सुशील दुबे व डॉ० अमर सिंह के नेतृत्व में, सतीश चन्द कालेज बलिया में डॉ० अशोक सिंह यादव, डॉ० मनीष पाण्डेय, डॉ० उमेश सिंह, डॉ० आशुतोष कुमार यादव व डॉ० राजेश कुमार के नेतृत्व में, गुलाब देवी पी०जी० कालेज बलिया में डॉ० दिनेश कुमार, डॉ० मनीषा मिश्रा व डॉ० निवेदिता श्रीवास्तव के नेतृत्व में, कुँवर सिंह पी०जी० कालेज बलिया डॉ० फूलबदन सिंह, डॉ० सच्चितानन्द जी, डॉ० राम अवतार उपाध्याय व डॉ० विमल कुमार के नेतृत्व में, अमरनाथ मिश्र पी०जी० कालेज दूबे छपरा में डॉ० शिवेश राय, डॉ० संजय मिश्र, डॉ० श्याम बिहारी श्रीवास्तव व डॉ० उमेश यादव के के नेतृत्व में, श्री सुदिष्ट बाबा पी0जी0 कालेज सुदिष्टपुरी बैरिया में डॉ० विवेकानन्द पाण्डेय, डॉ० त्रिपुरारी ठाकुर, डॉ० सत्येन्द्र विक्रम व डॉ० विनीत कुमार राय के नेतृत्व में तथा कमला देवी बाजोरिया डिग्री कालेज दुबहड़ में डॉ० अभिषक अर्ष एवं डॉ० अनिल तिवारी के नेतृत्व में तथा मुरली मनोहर टाउन पी०जी० कालेज बलिया में डॉ० निशा राघव, डॉ० सुबेदार प्रसाद, जनकुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ० ब्रजेश सिंह, डॉ० जैनेन्द्र पाण्डेय, डॉ० रामनरेश यादव, डॉ० अजय पाण्डेय, डॉ० अशोक सिंह, डॉ० ब्रजेश सिंह त्यागी के नेतृत्व एवं उपस्थिति में नई शिक्षा नीति एवं नई पेंशन नीति के विरोध में प्रदर्शन हुआ तथा आह्वान किया कि दिल्ली के रामलीला मैदान में 10 अगस्त 2023 को अधिक से अधिक संख्या में पहुॅचे ताकि पुरानी पेंशन योजना की मांग को बल मिले और नई शिक्षा नीति की दुरूहताओं को समाप्त किया जा सके।
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