16 दिवसीय पखवाड़ा का हैसटैग

Live News 24x7
3 Min Read
  • जेंडर आधारित हिंसा के ख़िलाफ़ “जेंडर संवाद” से अभियान का शुरुआत 
  • छात्राओं ने “जेंडर संवाद” के जरिए जाना अपना हक और हुकूक
पटना।  जेंडर आधारित हिंसा का संकट अत्यंत गंभीर है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा के लिए कोई #बहाना नहीं हो सकता (#नो एकसेक्यूज़) हैसटैग के साथ 16 दिवसीय पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। वैश्विक प्रगति के बावजूद, लड़कियां और महिलायें अभी भी ऐसी बाधाओं का सामना कर रही हैं, जो उनके विकास में रुकावट डालती हैं। इस असमानता को पाटने के लिए लैंगिक समानता सबसे महत्वपूर्ण है। इसके बिना महिला हिंसा को समाप्त करने का प्रयास नाकाफी होगी। इसी उद्देश्य के साथ सहयोगी संस्था गुरूवार को दुनियारी राजकीय कन्या उच्च विद्यालय,सराय पहुंची। जहां जेंडर संवाद के आयोजन के साथ महिलाओं और किशोरियों के खिलाफ हिंसा समाप्त करने के लिए 16 दिवसीय पखवाड़े का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के दौरान 163 छात्राओं ने उत्साह के साथ अपने हक और हुकूक की बात की। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. गणेश लाल, शिक्षक सतीश कुमार, सुनील कुमार और राकेश कुमार ने कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी की। प्रधानाचार्य ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम किशोरियों को आत्मनिर्भर और जागरूक बनने में मदद करते हैं।
छात्राओं ने पितृसत्तात्मक सोच को दी चुनौती: 
सहयोगी संस्था की निदेशक रजनी ने बताया कि जेंडर संवाद के दौरान छात्राओं ने खुलकर अपनी मनोव्यथा रखी। उन्होंने सदियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक सोच को चुनौती दी। संवाद कार्यक्रम के दौरान एक छात्रा सोनी कुमारी ने समाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि “महिला हिंसा के लिए हमेशा लड़की को ही दोष क्यों दिया जाता है?” यह दर्शाता है कि किशोरियाँ अब अपनी आवाज बुलंद करने और बदलाव लाने के लिए तैयार हैं। रजनी ने कहा कि जेंडर आधारित हिंसा को समाप्त करना व्यक्ति, समाज और सरकार सबकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके लिए कोई एकसेक्यूज़ (बहाना) नहीं हो सकता। इस वर्ष # नो एकसेक्यूज़ रखा गया है।
 जेंडर आधारित सोच और सामाजिक मान्यता को समझा: 
कार्यक्रम के दौरान सहयोगी संस्थान की निदेशक रजनी ने किशोरियों को जेंडर और जीवन में इसकी भूमिका पर समझ बनाया। उन्होंने बताया कि जेंडर आधारित सोच और सामाजिक मान्यता किस प्रकार उनके व्यक्तिगत और शैक्षिक विकास को प्रभावित करती हैं। कार्यक्रम में महिलाओं के प्रति हिंसा, भेदभाव, और लैंगिक असमानता के मुद्दों पर चर्चा की गई। किशोरियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए यह संदेश दिया गया कि वे समाज द्वारा बनाए गए पारंपरिक दायरों से परे जाकर अपने भविष्य को आकार दे सकती हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी टीम के सदस्य शारदा, मोनिका, निर्मला, लाजवंती, रुबी, बिंदु, प्रियंका, मनोज, उषा, धर्मेंद्र और साक्षी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
69
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *