अशोक वर्मा
मोतिहारी : शहर के गलियों में यह स्लेव वाली नाली जो रोड के बीचों बीच बनती हैं ,दिख जाएंगे ।यह इतनी खतरनाक होती हैं कि अगर रात में कोई आ जाए तो निश्चित उसका पैर टूट जाएगा।भाकपा माले नेता भैरव दयाल सिंह ने बताया कि पता नहीं इस आधुनिक युग में इस परंपरा को किस मूर्ख ने लागू किया और कौन महामूर्ख अभी तक इसे चला रहा है, जबकि इस तरह की नाली निर्माण पर अभिलंब रोक लगनी चाहिए ।इस भ्रष्ट व्यवस्था में ईट की नाली का कोई मायने नहीं रह गया है अब तो नाली मे सीधे पाइप लगा करके निकाल दिया जाता है और उसके उपर ढलाई कर दी जाती है, बीच-बीच में सफाई के लिये जगह बना दी जाए। कम से कम जो विकसित राज्य है उसको तो देखा जाना चाहिए कि वहां की सड़के नालिया कैसी है लेकिन यहां तो पैसे का बंदरबाट करना है। ईट की जो नाली बनती है उसमें बजट भी अधिक होती है और पैसे का बंदरबाट खूब होती है। 80% राशि का बंदरबाट होता है और 20% लगाया जाता है जिसका प्रमाण है की नाली निर्माण के 1 वर्ष के अंदर स्लैब टूटना आरंभ हो जाता है। फिर नये नाली निर्माण के लिए बजट पेश कर दिया जाता है । सिर्फ लूट का सिलसिला है और कुछ नहीं
