स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा में बिहार प्रगति के पथ पर

Live News 24x7
5 Min Read
  • पीएमसीएच सहित दस जिला अस्पतालों को मिली डीएनबी की मान्यता
  • नेफ्रोलॉजी को दो और न्यूरोलॉजी को तीन डी आर एन सुपर स्पेशियलिटी कोर्स के लिए मिली मान्यता
  • राज्य के दस जिला अस्पतालों को मिली डीएनबी की मान्यता
  • राज्य में मेडिकल कॉलेज को भी डी एन बी से आच्छादित करने की वर्तमान सरकार की योजना 
पटना:  पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलज अस्पताल) सहित 10  जिला अस्पतालों को डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) की मान्यता मिल गई है । नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंस की टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर मान्यता मिली है। राज्य के 10 जिला अस्पतालों में दो वर्षीय (डिप्लोमा) एवं तीन वर्षीय ( डिग्री ) कोर्स के लिए कुल तैंतीस नई सीटों की मान्यता मिली है.  उक्त बात की जानकारी  डीएनबी कार्यक्रम के राज्य सलाहकार प्रभाकर सिन्हा ने जानकारी दी है उन्होंने बताया वर्तमान में  राज्य के सभी 9 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में विभिन्न विभागों में डी एन बी तथा सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में मान्यता के लिए प्रयास तेज किए जा रहे हैं.  पीएमसीएच सहित जिला अस्पतालों को डीएनबी की मान्यता मिलना बड़ी उपलब्धि है। पीएमसीएच में वर्तमान में न्यूरोलॉजी के लिए तीन तथा नेफ्रोलॉजी के लिए दो सीटे मिली हैं । स्वास्थ्य विभाग का राज्य के सभी 38  जिलों के अस्पतालों को डीएनबी की मान्यता दिलाने का लक्ष्य है। लक्ष्य पूरा होने की स्थिति में चिकित्सा पीजी स्तर की सीटों की संख्या बढ़ कर एक सौ पचास हो जाने का अनुमान है।
इन अस्पतालों में मिली है मान्यता:
सिन्हा ने बताया अब तक राज्य के दस जिला अस्पतालों को डीएनबी की मान्यता मिल चुकी है जिसमें बिहार मानसिक स्वास्थ्य एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (बिम्हास) को मनोरोग विज्ञान में चार सीटें मिलीं। समस्तीपुर सदर अस्पताल को पेडियाट्रिक्स के लिए दो सीटों की मान्यता मिली है । मोतिहारी सदर अस्पताल को गायनोकॉलोजी में दो और पीडियाट्रिक्स में चार सीट, सीतामढ़ी को पीडियाट्रिक्स में दो और एलएनजेपी हड़्डी रोग अस्पताल को चार सीट, रोहतास सदर अस्पताल को पेडियाट्रिक्स में दो, गोपालगंज को पेडियाट्रिक्स मे दो, आरा जिला अस्पताल को अनेस्थेसिआ मे दो, बेगूसराय सदर अस्पताल को भी एनेस्थीसिया मे दो, नालंदा सदर अस्पताल को  पेडियाट्रिक्स मे दो, तथा पीएमसीएच को न्यूरोलॉजी में तीन तथा नेफ्रोलॉजी में दो सीटें मिली है.
क्या होगा डीएनबी से फायदा:
मेडिकल कॉलेज अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी के डॉक्टर मिलेंगे। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पतालों को लाभ होगा। अध्ययनरत चिकित्सक एमबीबीएस डिग्रीधारी होंगे, जो अस्पताल में अपनी सेवा देंगे। इससे मरीजों को सुविधा होगी। यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने वाले चिकित्सक नीट पास कर डीएनबी पाठ्यक्रम में नामांकन करवा सकेंगे। डीएनबी की पढ़ाई शुरू करने को लेकर क्लास-रूम, लाइब्रेरी आदि की व्यवस्था होगी। साथ ही अकाउंटेंट, डिपार्टमेंटल मैनेजर, डाटा ऑपरेटर, चतुर्थवर्गीय व सुरक्षा गार्ड आदि भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
क्या है डीएनबी:
डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड ) में डिग्री तीन वर्ष का जबकि डिप्लोमा दो वर्ष का होता है। इसके शुरू होने से बिहार तथा बिहार से बाहर के एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्र जिला सदर अस्पतालों में पीजी की पढ़ाई करने आएंगे। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ सरकार की ओर से हर महीने अतिरिक्त भत्ता दिया जायेगा। बिहार राज्य के इन सर्विस मेडिकल ऑफ़िसर को डी एन बी करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बिहार सरकार ने विशेष प्रावधान करते हुए उन्हें पढाई की अवधि में पूर्ण वेतमान देने की घोषणा भी कर दी है. सरकार की इस घोषणा से बड़ी संख्या में चिकित्सक डी एन बी करने के लिए अग्रसर हो रहे हैं. धीरे धीरे बिहार उन अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल हो रहा है जिन्होंने उच्च चिकित्सा शिक्षा को जिला स्तरीय अस्पतालों तक ले जाने में सफलता पायी है ।  उत्तर प्रदेश,  गुजरात, कर्णाटक, हरियाणा अदि राज्य इस श्रेणी में शामिल हैं।
67
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *