12 वर्षों के बाद देवी देवताओं का आगमन भारत की भूमि पर होना आरंभ हो जाएगा

4 Min Read
अशोक वर्मा
मोतिहारी :  प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना स्वयं परमपिता परमात्मा ने दादा लेखराज ब्रह्मा बाबा के तन का आधार लेकर   किया है।
 1936 मे हीरे जवाहरात के व्यापारी दादा लेखराज जिनका नाम बाद में ब्रह्मा बाबा पड़ा, अति धर्म परायण थे ,काफी पूजा पाठ करते थे। गुरु के प्रति उनमे काफी आस्था थी। अपने जीवन में उन्होंने कुल 12 गुरु किये थे। गुरु के आदेश की उन्हें प्रतीक्षा  रहती थी। जो कुछ भी मांग गुरु के द्वारा होता था,उसे वे पूरा करते थे ।उस सस्ते  दौर में जब शहरी जमीन ₹10 -₹5 कट्ठा बिकती थी ,गुरु दक्षिणा में जो भी मांग करते वे उसे पूरा करते। एक बार एक गुरु ने उनसे ₹10000 की मांग की, दादा लेखराज तत्क्षण मांगी राशी उनके यहां पहुंचा दिये।। ऐसी आस्था थी उनमे गुरु के प्रति।
दादा लेखराज जब भक्ति मार्ग मे थे तब उनको  पूर्ण निश्चय था कि गुरु के द्वारा हीं भगवान मिलेंगे, लेकिन जब 1936 में शिव बाबा की प्रवेशता  दादा लेखराज के तन में हुई तो वे काफी प्रसन्न हुए और आत्मिक सुख में चले गए। अतिंद्रिय सुख की अनुभूति हुई। जिस पल की प्रतीक्षा उन्हें लंबे समय से  थी वह पल उन्हें मिल गया,  उनका जीवन तृप्त और खुशहाल हो गया ।इसका श्रेय वे अपने गुरु को देते थे।  वे भागे भागे गुरु के पास गए और गुरु से जाकर कहा कि आपकी कृपा से मुझे भगवान मिल गए, हम आपके प्रति लाख-लाख आभार प्रकट करते हैं। उस दौर के गुरु लोग भी ईमानदार गुरु थे। उन्होंने जवाब दिया कि नहीं आपको जो भगवान मिले हैं उस भगवान की तलाश तो मैं अभी भी कर रहा हूं, इसमें मेरा कोई योगदान नहीं है। आप भाग्यशाली हैं कि आपको भक्ति के फल के रूप में भगवान मिल गए, इसमें सिर्फ आपकी अपनी भक्ति ही काम आई है, मेरा इसमे किसी भी तरह का सहयोग या योगदान नहीं है।  यह उनके गुरु की ईमानदार वाणी थी ।
उसके बाद शिव बाबा ने दादा लेखराज का नामकरण ब्रह्मा बाबा करके नई पवित्र सतयुगी  दुनिया निर्माण करने की जिम्मेवारी उनके कंधे पर दी, नई जिम्मेवारी का निर्वाहन उन्होंने बिल्कुल ही समर्पण भाव से करना आरंभ कर दिया।काफी संख्या मे भाई बहन  उनके पुनीत काम में सहयोगी बने। उनके मुख वंशावली ब्राह्मण बने।उसके बाद  पवित्रता एवं योग बल से नई दुनिया का निर्माण का कार्य निर्बाध गति से चलने लगा।
नई सतयुगी  दुनिया आरंभ होने में अब  मात्र 12 वर्ष का समय बचा हुआ है। 1936 में आरंभ 100 बरसों का पुरुषोत्तम संगम  युग अब समाप्त होने वाला है और  देवी देवताओं की नई दुनिया आरंभ होगी।
शिव बाबा ने बताया है कि दुनिया का विनाश कभी नहीं होता है सिर्फ , परिवर्तन होता है। कलयुग बदलकर सतयुग हो जाएगा।
 ब्रह्मा बाबा के तन का आधार लेकर
शिव बाबा अभी पिता ,शिक्षक और सद्गुरु के रूप में अपना पार्ट बजा जा रहे हैं।
22
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *