गया ।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के 76 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना 1949 में हुई तभी 1947 में हमारा भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था, तो ध्यान में आता है कि उसने भारतीयता पर, उसके स्वाभिमान पर करारी चोट करते हुए हमें गुलाम की मानसिकता में पहुँचाने के लिए, पूरे शिक्षा-तंत्र पर जो प्रहार किया, तब विद्यार्थी परिषद ने बहुत स्पष्टता के साथ कहा कि यह नवनिर्माण नहीं, पुनर्निर्माण है। और इस राष्ट्रीय पुननिर्माण के लिए एक विशाल छात्रशक्ति के निर्माण का संकल्प लिया।
अब पुनर्निर्माण है ऐसा हमने क्यों कहा क्योंकि जब हम नवनिर्माण की बातें करते हैं, तो पुरानी सारी चीजों को समाप्त करते हुए एक नया सृजन करेंगे, नया निर्माण करेंगे, इस प्रकार का भाव प्रकट होता है। किंतु हमारा यह विश्वास था और है कि भारतीय संस्कृति में, भारतीय दर्शन में अब भी यह ताकत है कि वह आज की स्थिति में भी वर्तमान की सभी समस्याओं को चुनौती दे सकता है। इसलिए हम नवनिर्माण नहीं कहेंगे, हम पुनर्निर्माण कहेंगे।एबीवीपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार ने कहा कि विद्यार्थी परिषद् का स्पष्ट रूप से कहना है कि चीजें सांस्कृतिक धरोहर के रूप में अच्छी हैं, उन्हें डंके की चोट पर सबके सामने कहना और युगानुकूल अनुकरण करना, और उसके बारे में छात्रों के मन में या सारे समाज के मन में आत्म-सम्मान का भाव उत्पन्न करना है। फिर सामाजिक स्तर पर सुरक्षा फिर सुरक्षा के अंतर्गत आनेवाली दिक्कतों से, फिर वो चाहे आतंकवाद हो, नक्सलवाद हो या फिर बाहरी आक्रमण हो, सबसे सुरक्षा चाहिए। अब सुरक्षित समाज हो गया लेकिन विभेदो में है, प्रांतीयवाद में है, लिंगभेद है, जातिवाद, वर्णभेद है
तो उसका कोई मतलब नहीं, तो सुरक्षा एक प्राथमिक आवश्यकता है। उसके आगे हमको जाना पड़ेगा और समरसता की ओर जाना होगा। सुरक्षा हो गई है समरसता हो गई है।
स्थापना के समय विचार हुआ कि विद्यार्थी परिषद की एक-एक इकाई में कार्यकर्ता आधारित संगठन बनकर कार्यकर्ता को अपनी भारतीय संस्कृति, उसके गुण, उसके व्यक्तिगत गुण को इस दिशा में ले जाना ही आवश्यक है। समाज में जितने भी प्रकार के विषय आएँगे उस विषय के समाधान हेतु हमारी परिषद् यूनिट में कोई कार्यक्रम, जागरण, आंदोलन हो सकता है। जिसके माध्यम से हम राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की अनेक बातें स्थापित कर सकेंगे। और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् समरसता युक्त व्यक्ति निर्माण से पर्यावरणयुक्त जीवनशैली तक की यात्रा पर अनवरत चल रही है। विद्यार्थी वर्ग में अभाविप के कार्यक्रम, गतिविधि, अभियान, आंदोलन का जो मानक है वह राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के ऊपर बताये गये बिंदुओं के आधार पर निर्धारित है और परिषद् ने कहा कि छात्र शक्ति राष्ट्र शाक्ति है। यह दिशाहीन समूह नहीं है। छात्र कल का नहीं अपितु छात्र आज का नागरिक है। और इन वाक्यों ने आज हमारे युवाओं को भारत के उज्जवल भविष्य के लिए संकल्पशक्ति दी है।गया महानगर मंत्री विनायक कुमार ने कहा कि परिषद् में रहकर कार्यकर्ता एवं सामान्य विद्यार्थी हर क्षण भारत माता की जय का नारा लगाते हुए कहता है कि भारत के उत्थान के लिए पराक्रम पुरुषार्थ एवं संकल्प की जरूरत है। देशभक्ति एवं समाज के प्रति आत्मीयता से ओतप्रोत छात्र युवा समुदाय ही सभी समस्याओं के समाधान हो सकते हैं।
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