आयुर्वेद कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ हरिशंकर सिह ब्रह्मचारी नहीं रहे।

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अशोक वर्मा
मोतिहारी : नगर के मिशन चौक के पास रह रहे 77 वर्षीय अवकाश प्राप्त आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ हरिशंकर सिह ब्रह्मचारी का निधन उनके पैतृक गांव  मे हुआ।डा ब्रह्मचारी बंद पड़े आयुर्वेद कॉलेज को नया जीवन दिया था तथा अपने बोल्डनेस एवं नेतृत्व क्षमता के बदौलत मृत पड़े आयुर्वेद कॉलेज में जान फूकी थी। उन्होने सैकड़ो छात्रों  जीवन संवारा था।
 कॉलेज के सचिव के रूप में जब तक बिहार सरकार के मंत्री सीताराम सिंह थे तब तक कॉलेज अपने यौवन पर था ।यद्यपि हर कमेटी ने ब्रह्मचारी जी  का दोहन और शोषण  किया था लेकिन कॉलेज को सुचारू रूप से चलाने में ब्रह्मचारी जी की अहम भूमिका थी। बिहार सरकार के सत्ता परिवर्तन  के बाद नई कमेटी का गठन हुआ उसके बाद कालेज  का दुर्दिन  शुरू हुआ लेकिन कई उतार-चढ़ाव के बीच ब्रह्मचारी जी ने कॉलेज को चलाया।बाद मे आंतरिक कलह, गुटबाजी एवं कॉलेज के वित्तीय अनियमितता के कारण कॉलेज बंद हुआ और लगभग 12 -13 वर्षों से कॉलेज में पठन-पाटन नामांकन प्रक्रिया बंद है। अपने कार्यकाल में डॉक्टर ब्रह्मचारी जी ने कॉलेज के बड़े भूभाग पर भैसजय उद्यान लगाया था , आज सैकड़ो पेड़  विस्तरित हुये  हैं । कालेज बंद होने से जड़ी बूटी का पौधा भी व्यर्थ पड़ा हुआ है उसकी कोई उपयोगिता नहीं हो पा रही है। ब्रह्मचारी जी ने कोरोना काल में अपने विशेष  विधि से काढा  निर्माण किया था जिसमें विभिन्न जड़ी बूटियो का इस्तेमाल हुआ था, बाद में भारत सरकार द्वारा उसी आधार पर काढा  निर्माण  के लिए प्रचार किया गया। उससे काफी लोगों को कोरोना में फायदा हुआ था ।उम्र के 75वें वर्ष में प्रवेश करने के साथ अवकाश प्राप्त  ब्रह्मचारी जी ने संन्यास धर्म अपना  लिया और वे गृहस्थी से संन्यास की ओर मुड़ गए ।गेरुआ वस्त्र धारी बन गए। सन्यास धारण करने के एक वर्ष के बाद ब्रम्हचारी जी का निधन हुआ ।उनके निधन से पूर्वी चंपारण के चिकित्सा जगत में शोक की लहर दौड़ गई ,काफी लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त की।आयुर्वेद कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य डॉ नरेंद्र कुमार ने कहा कि ब्रह्मचारी जी से हम लोगों ने बहुत कुछ सीखा है वे काफी साहसिक  कदम उठाते थे ।विपरित  परिस्थिति मे भी उन्होंने कॉलेज को चलाया था ,वैसे हम लोग  उनसे जो कुछ भी सीखा है उस आधार पर कॉलेज को चलाने का प्रयास कर रहे हैं ।पूर्व प्राचार्य डॉक्टर डीएन मिश्रा के पुत्र डॉक्टर आलोक कुमार मिश्रा ने कहा कि वे आयुर्वेद के बहुत बड़े जानकार थे ,पौधों की विशेष  जानकारी थी ।उनकी  सबसे बड़ी विशेषता थी कि हर परिस्थिति में वे किसी तरह कॉलेज को चला लेते थे  अपने स्तर से  बहुत हिम्मत का कदम उठाते थे ।डॉक्टर आर एन सिंह  मुजफ्फरपुर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के रीडर ने बताया कि ब्रह्मचारी जी आयुर्वेद के महापंडित थे और वे बहुत कुछ  अपने साथ ले गए। नीमा के प्रदेश नेता डॉक्टर सच्चिदानंद पटेल ने अपने शुभ संदेश में कहा कि ब्रह्मचारी जी का निधन आयुर्वेद जगत के लिए काफी बड़ा नुकसान है, दिल्ली में अपनी मां डॉक्टर अंजु वर्मा के नाम पर क्लीनिक चला रही है  डॉ आभा बर्मा ने कहा कि ब्रह्मचारी जी के समय में मैं बिहार यूनिवर्सिटी से डिग्री ली थी, उनसे पढ़ने का सौभाग्य मिला था ,वे काफी नॉलेज रखे थे आयुर्वेद के गुढ रहस्य पर उन्होंने बहुत कुछ बताया था ,उनकी मृत्यु की खबर से मैं व्यक्तिगत तौर पर मर्माहत हूं। डॉ रंजना पांडे ने कहा कि मोतिहारी की एक हस्ती चली गई उनकी कमी हमेशा खेलेगी। आईएमए के अध्यक्ष डॉ आशुतोष शरण ने गहरी संवेदना व्यक्त की, डॉक्टर सीएल झा , डॉक्टर यू एस पाठक ,डॉ अजय कुमार वर्मा, सहित जिले के कई एलोपैथ डॉक्टरो ने भी अपनी शोक संवेदना व्यक्त की। होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव ,डॉक्टर शारदा कुमार ,डॉक्टर टीके नंदी, डॉक्टर सरिता कुमारी सहित कई अन्य डॉक्टरो ने  श्रद्धांजलि अर्पित की।
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