अशोक वर्मा
मोतिहारी : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तमाम सेवा केदो पर यज्ञ माता मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की 59वी पुण्य समृति दिवस बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ मनायी गयी। बैरगनिया सेवा केंद्र प्रभारी बीके निर्मला दीदी ने मम्मा की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मम्मा गुणो की खान थी।
1937 मैं 17 वर्ष की उम्र में यज्ञ में समर्पित हुई ।वे ओम की ध्वनि विशेष रूप मे निकालती थी। ध्वनि सुन कई लोग ध्यान में चले जाते थे ।यज्ञ मेंप आते ही मम्मा समर्पित हो गई और बाबा के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मैं सूट वालों के साथ नहीं जाऊंगी मैं तो पीतांबर धारी के साथ ही रहूंगी और मैं वही राधे हूं जो कल्प पहले कृष्ण की राधे थी। इस तरह से उन्होंने अपने जीवन यज्ञ को समर्पित कर दिया और विशेष पालना एवं व्यवहार कुशलता, क्षमाशीलता , दया ,ममता,निरंहकारिता के बदौलत बहुत जल्दी यज्ञ की तमाम भाई बहनो की मां बन गई ।सभी उन्हें प्यार और श्रद्धा से मम्मा कहने लगे यहां तक की बाबा भी उनको मम्मा ही कहते थे। मम्मा के आने के बाद यज्ञ में काफी लोग और बढ़ गए। दिनो दिन संस्था की प्रसिद्धि होने लगी और मम्मा एक कुंवारी कन्या आई थी लेकिन मम्मा बन गई ।24 जून 1965 को संपूर्णता को प्राप्त कर मम्मा ने इस शरीर को छोड़ अगले पाठ के लिए निकल गई ।मम्मा का मुख्य स्लोगन था हुकूमी हुकूम चला रहा है और हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझो ।कार्यक्रम में उपस्थित रहने वालों में मुख्य रूप से बीके शोभामा ता, बी के पूनम माता ,बीके ललिता माता, बीके कमल भाई ,बीके रमेश भाई ,बीके अशोक भाई वीरेंद्र भाई आदि थे। सुबह में योग भठठी हुआ उसके बाद मुरली चली फिर मुरली के बाद मम्मा की जीवनी पर परिचर्चा का कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित तमाम अतिथि गणों के अलावा सभी भाई बहनों ने मम्मा के चित्र पर पुष्प अर्पण कर उनसे दृष्टि ली
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