पटना हाईकोर्ट ने मशहूर लोकगायिका पद्मभूषण शारदा सिन्हा सहित 15 अन्य रीडरों की सेवा को अवैध करार देने, पेंशन और अन्य बकाया राशि का भुगतान नहीं करने संबंधी सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति हरीश कुमार की एकलपीठ ने शारदा सिन्हा और डॉ. उदय चंद्र मिश्रा की अर्जी पर सुनवाई के बाद गत वर्ष 20 फरवरी को जारी सरकारी आदेश काे निरस्त कर दिया। अधिवक्ता शशिभूषण सिंह ने कोर्ट को बताया कि सहायक प्रोफेसर के पद पर बहाल आवेदकों को रीडर के पद पर प्रोन्नति दी गई थी।
उनका कहना था कि एलएन मिश्रा विश्वविद्यालय ने आवेदकों सहित 16 का नियमितीकरण नहीं किया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने पूर्ण पीठ के आदेश के आलोक में कार्रवाई करने का आदेश दिया।इसके बाद विश्वविद्यालय ने कमेटी का गठन कर पूरी प्रक्रिया अपनाकर छूटे हुए 16 रीडरों की सेवा नियमित कर दी। बाद में सभी अपने पदों से सेवानिवृत्त हुए। उनका कहना था कि उच्च शिक्षा के निदेशक ने 20 फरवरी 2023 को आदेश जारी कर कहा कि बिना पद सृजन और नियुक्ति के पहले समुचित विज्ञापन का प्रकाशन नहीं किया गया।
स्थानीय विज्ञापन प्रकाशित किया गया जिसे समुचित विज्ञापन नहीं माना जा सकता। विभाग ने नियुक्ति को अवैध मानकर सभी 16 शिक्षकों को किसी तरह का लाभ नहीं देने का आदेश दिया। इस आदेश की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने सभी पक्षों की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया।
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