आरकेएसके व साधन के बढ़ते इस्तेमाल से मिला राज्य में माहवारी स्वच्छता को बल

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  •  माहवारी साधन के इस्तेमाल में वृद्धि ने बिहार को देश से किया आगे 
  • 26 जिलों के तीन-तीन प्रखंड में आयोजित होंगे जागरूकता कार्यक्रम 
पटना। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब बिहार में महिलाएं व किशोरियां मासिक धर्म या माहवारी पर खुल कर चर्चा करती हैं। माहवारी के दौरान स्वच्छता के सुरक्षित तरीके अपनाती हैं। माहवारी पर बढ़ती चर्चा इनके साधनों के उपयोग के आंकड़ों पर भी दिखती है। राष्ट्रीय फैमिली हेल्थ सर्वे 4 के मुताबिक, एनएफएचएस-5 में देश ने माहवारी साधन में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की, जबकि बिहार ने इसमें देश से ज्यादा 27 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि की है। एनएफएचएस-5 के अनुसार, अब 58 प्रतिशत लड़कियां और महिलाएं सुरक्षित माहवारी का साधन इस्तेमाल करती हैं। माहवारी स्वच्छता के बढ़ते आंकड़ों की नींव उसी समय पड़ गयी थी जब बिहार वर्ष 1990 में मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं को विशेष अवकाश देने वाला देश का पहला राज्य बना था।
राज्य में प्रखंड स्तर पर आयोजित होंगे जागरूकता कार्यक्रम:
स्वास्थ्य विभाग के सचिव सह राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने इस सम्बन्ध में सभी सिविल सर्जन को लिखे पत्र में कहा है कि समुदाय के बीच मासिक धर्म देखभाल, मासिक स्वच्छता एवं उस दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु राज्य के 26 जिलों में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाएगा। पत्र में कहा गया है कि इन 26 जिलों के चयनित तीन प्रखंड में 31 मई तक शैक्षणिक कार्यशाला एवं सेमिनार का आयोजन किया जाएगा जिसमें रैली, क्विज कम्पटीशन, पोस्टर कम्पटीशन, वाद विवाद प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाएगा तथा विजेताओं के बीच पुरस्कार वितरण किया जाएगा। इसके अलावा विद्यालयों में जागरूकता सत्रों का आयोजन बालिका मध्य विद्यालय अथवा महाविद्यालय परिसर में आयोजित किए जाएँगे।
प्रयासों से महिलाओं व किशोरियों को जोड़ती योजनाएं 
इसमें कोई शक नहीं कि लड़कियों के लिए सुरक्षित माहवारी के सम्बन्ध में राज्य के प्रयास सराहनीय हैं। माहवारी स्वच्छता सुरक्षा-चक्र से छूट गईं महिलाओं तथा किशोरियों के लिए राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत वृहत स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किए हैं जिनमें युवा क्लिीनिक, माहवारी स्वच्छता कार्यक्रम, साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरक और पीयर एडुकेटर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। राज्य के 10 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में युवा क्लीनिक की स्थापना की गयी है।
विद्यालय नहीं जाने वाली किशोरियों को भी नैपकिन:
राज्य के सभी जिलों में मासिक स्वच्छता कार्यक्रम के तहत यह कार्यक्रम क्रियान्वित किया जाता है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय नहीं जाने वाली किशोरियों को भी आशा द्वारा सामाजिक विपणन के माध्यम से सेनेटरी नैपकिन (प्रति पैकेट छह रुपए) वितरित किया जाता है। विद्यालय जाने वाली किशोरियों को शिक्षा विभाग के माध्यम से सेनेटरी नैपकिन हेतु वर्ष में एक बार एकमुश्त राशि उपलब्ध कराई जाती है। इन योजनाओं से वैसी किशोरियों और महिलाओं को मासिक स्वच्छता के दौरान सहायता मिलती है जो सुरक्षित माहवारी के साधन का उपयोग नहीं कर पाती थीं।
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