बिहरी बेतिया में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी गुरुवार की शाम यूट्यूबर मनीष कश्यप से मिलने उनके घर पहुंचे। यहां उन्होंने करीब 45 मिनट तक मनीष कश्यप से बातचीत की और महनाव डुमरी गांव के लोगों से मुलाकात की।
मनोज तिवारी ने कहा कि हम मनीष के साथ हैं। हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि क्या बीजेपी मनीष कश्यप का समर्थन करती है। तो इसके जवाब में उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि मनीष कश्यप अकेले नहीं हैं। सांसद मनोज तिवारी के आने की सूचना ग्रामीणों को मिली तो भारी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी। करीब 50 हजार लोग पहुंच गए थे। इससे वे गांव में जनसभा नहीं कर सके। मनीष कश्यप ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जानबूझकर सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई। मनोज तिवारी करीब 45 मिनट रुकने के बाद पटना के लिए रवाना हो गए।
वही इस मौके पर मनीष कश्यप ने कहा कि हम जनता की आवाज है। उनकी आवाज को दबाने वालों के खिलाफ हम खड़े हैं। इसके बाद मनोज तिवारी से पूछा गया कि क्या जनता की आवाज बनने वालों को आपकी पार्टी मदद करेगी। इसपर मनोज तिवारी ने कहा कि जरूर और शत प्रतिशत करेगी।
मनीष कश्यप ने आगे कहा कि मैं पत्रकार हूं। मैंने करीब 5 हजार वीडियो बनाए हैं। भाजपा सांसदों से भी सवाल किया है, लेकिन किसी ने मेरे घर की कुर्की नहीं कराई। मेरे घर की कुर्की जिन लोगों ने कराई, उन्हें आप जानते हैं। हम बिहार में जंगलराज लाने वाले उन्हीं लोगों से लड़ रहे है।
आपको बता दे कि मनोज तिवारी पहुंचे तो सबसे पहले मनीष कश्यप की मां ने उनकी आरती उतारी। इसके बाद मनीष कश्यप ने उन्हें अपना घर दिखाते हुए कहा कि इसे मेरे स्वतंत्रता सेनानी रहे दादा जी ने बनवाया था। इस घर में ही मेरे छोटे भाई की नव विवाहिता पत्नी रहती है। इस घर की कुर्की करा दी गई। यहां एक पुराना चापाकल है, जिससे घर के सब लोग पानी पीते हैं, उसे भी उखाड़ कर ले गए।
दरअसल भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने 4 दिन पहले मनीष के साथ एक वीडियो जारी किया था। इसमें उन्होंने मनीष के घर आने की बात कही थी।
सांसद ने कहा था कि बिहार की एक ऐसी पार्टी है, जो गरीबों की आवाज उठाने वाले लोगों को दबाती है। मैं मनीष के घर जाऊंगा और उनके जिस घर की कुर्की हुई थी, उसे देखूंगा। उनकी मां से मुलाकात करूंगा।
इससे पहले गुरुवार को मनोज तिवारी पटना पहुंचे। पटना में उन्होंने मीडिया से कहा कि मनीष कश्यप के घर जा रहा हूं। उनके साथ गलत हुआ है। पत्रकारों की आवाज को दबाया नहीं जाना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन हो रहा है।
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