- बाल विकास परियोजना पदाधिकारी एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण
- प्रथम बैच में 12 जिला के प्रतिभागियों ने की शिरकत
पटना। शिशु पोषण की निगरानी एवं समुदाय तक समेकित बाल विकास सेवाओं की महत्ता एवं गुणवत्ता में इजाफा करने के उद्देश्य से पटना स्थित दशरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला की शुरुआत की गयी. प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य पोषण ट्रैकर एप एवं वृद्धि निगरानी पर मास्टर ट्रेनर राज्य से तैयार करना हैं. समेकित बाल विकास निदेशालय, पिरामल स्वास्थ्य एवं एनइजीडी टीम द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया.
12 जिलों ने प्रथम बैच में की शिरकत:
गुरुवार से शुरू हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण में अररिया, अरवल, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गया एवं गोपालगंज की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं ने भाग लिया.
बाल कुपोषण पर लगाम लगाकर ही स्वस्थ एवं सुपोषित समाज का निर्माण संभव:
डॉ. कौशल किशोर, निदेशक, समेकित बाल विकास निदेशालय, ने बताया कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए शिशुओं का पोषित होना जरुरी है. आईसीडीएस की सेवाओं के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों पर हर सप्ताह नामांकित बच्चों कि सघन वृद्धि निगरानी कि जाती है जिससे उम्र के अनुपात में उनकी वृद्धि दर्ज कि जाती है. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण का प्रमुख उद्देश्य वृद्धि निगरानी एवं पोषण ट्रैकर पर मास्टर ट्रेनर तैयार किया जाना है.
सेवाओं को पारदर्शी बनाने का किया जा रहा प्रयास:
डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि आईसीडीएस की सेवाओं को लगातार पारदर्शी तरीके से संचालित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें पोषण ट्रैकर एप की महत्वपूर्ण भूमिका है जिससे दी जा रही सभी सेवाओं की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाती है. प्रशिक्षकों द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण में उक्त बिंदुओं पर क्षमतावर्धन किया जा रहा है.
कार्यशाला में आईसीडीएस निदेशालय की तरफ से पोषण सलाहकार डॉ. मनोज कुमार, डॉ. चांदनी कुमारी, प्रशिक्षण पदाधिकारी, संतोष कुमार गुप्ता, डॉ. कुमारी चंदा मौजूद रहे.
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