मामला बिहार के पश्चिमी चम्पारण जिले का है जहां बेतिया के मझौलिया में बीआरसी भवन के पीछे दवाइयों को फेंकने का एक विडियों सामने आया है। खुले में पड़ी दवाइयों पर ग्रामीणों की नजर पड़ी, तो ग्रामीणों ने आक्रोश जताया।
जब इन दवाइयों को गौर से देखा गया,तो पाया गया की दवा एक्सपायरी हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि यह दवा बीआरसी के लिए आया होगा। जिसे स्कूली बच्चों में वितरण करना था। दवा वितरण नहीं हुआ है और दवा एक्सपायर हो जाने पर दवा कों खुलें में फेंक दिया गया है।
दवाइयों में कफ सिरप, एंटीबायोटिक ,बुखार सहित करीब 10 प्रकार की दवाइयों कि सैकड़ों पते और शीशी फेंकी गई है। आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह से खुले में दवाइयां फेंकने से संक्रमण फैला सकता है। नियमानुसार इन दवाइयों को गड्डा खुदवाकर मिट्टी में दबा देना चाहिए, ताकि किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं हो।
ऐसे खुले में फेंके जाने से कोई भी ग्रामीण बच्चे या मवेशी इनको खा लेंगे,तो काफी परेशानी हो सकती है। दवा जहां फेंकी गई है, वहां से महज 200 मीटर की दूरी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। वही ग्रामीणों ने लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह दवा बीआरसी के लिए आया था। जिसे स्कूली बच्चों में वितरण करना था। दवा वितरण नहीं हुआ है और दवा एक्सपायर हो जाने पर दवा कों खुलें में फेंक दिया गया है।
वही कुछ ग्रामीणों ने कहां कि जान-बूझकर किसी ने बीआरसी के पीछे दवाइयों को फेंकी है। अगर दवाइयां एक्सपायरी हो गई, तो चिकित्सा विभाग की गाइड लाइन के अनुसार एक्सपायरी दवाईयां या तो कंपनी में वापस भिजवाई जाती हैं या फिर जिला डिस्पोजल केंद्र पर इनको भिजवा कर डिस्पोज करवाया जाता है। इस तरह दवाइयों को खुले में फेंकने से इससे आमजन के साथ पर्यावरण और मवेशियों को भी खतरा हो सकता है।
वही आपको बता दे कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक बेतिया सर्किट हाउस में ठहरे हुए है। मझौलिया में निरिक्षण के भय से इन दवाइयों को नष्ट करने की कार्रवाई की गयी है। जांच पर मामले का खुलासा होगा। हालांकि बीआरसी का एक कर्मी ने बताया कि वर्ष 2021 का एक्सपायरी दवाएं है। जिन्हें नष्ट किया गया है1
