अशोक वर्मा
शीतलपुर चकिया : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विश्व नवनिर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ लक्ष्मी नारायण के चैतन्य झांकी से सुसज्जित रथ एवं कलश यात्रा के साथ हुआऔर समापन आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी के साथ हुआ। कार्यक्रम संयोयिका अवकाश प्राप्त प्रिंसिपल बीके उषा बहन ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शीतलपुर एवं संपूर्ण चकिया क्षेत्र में हर आत्मा तक ईश्वरीय ज्ञान पहुंचना मुख्य उद्देश्य है।
विचार सत्र के संबोधन में बतौर मुख्य वक्ता केसरिया सेवा केंद्र प्रभारी बीके मनोरमा दीदी जी ने कहा कि तीन तरह का स्नान होता है प्रथम स्नान से शरीर मन स्वच्छ होता है दूसरे ज्ञान स्नान सेआत्मा का मैल साफ होता हैऔर तीसरा स्नान योग का है इससे संस्कार परिवर्तन होता है ।उन्होंने कहा कि आज राम के चरित्र को अपनाने की जरूरत है। रावण मार्ग पर चलने से पूरे विश्व में आज महाभारत छिड़ा हुआ है ।उन्होंने कहा कि आज राम को तो सभी मान रहे हैं लेकिन उनके गुणो को धारण नहीं कर रहे हैं और रावण के मत पर ही चल रहे हैं।उन्होंने कहा कि विचार से संस्कार परिवर्तन होते हैं और श्रेष्ठ संस्कार से विश्व परिवर्तन होता है । राजयोग प्रशिक्षक बीके अशोक वर्मा ने संस्था के इतिहास को विस्तार से बताया और कहा कि गीता ग्रंथ में बताएं धर्म गलानी के समय परमात्मा का एक बार पुनः भारत की भूमि पर अवतरण हो चुका है। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन करते हुए मोतीपुर सेवा केंद्र प्रभारी बीके रींकू बहन ने कहा कि भारत हीं हर 5000 वर्ष के बाद स्वर्ग बनता है। यह अविनाशी खंड है । जिला परिषद सदस्य निर्जला देवी ने कहा कि ब्रह्मकुमारी द्वारा चलाया जा रहा चरित्र निर्माण का कार्य अति सराहनीय है।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक सशक्तिकरण का कार्य कर रही है। हर आत्मा तक परमात्म अवतरण का संदेश पहुंचाना हम बच्चों की जिम्मेवारी है।
मोतिहारी पंच मंदिर एवं बनिया पट्टी सेवा केंद्र प्रभारी बीके विभा बहन ने कहा कि शिव बाबा ने अवतरण के बाद माताओं के कंधे पर यज्ञ की जिम्मेवारी दी। आज यह संस्था विश्व के 150 देश में भारत का ईश्वरीय ज्ञान फैला रहा है।
आध्यात्मिक प्रदर्शनी का उद्घाटन राजयोगिनी बीके मनोरमा दीदी, बीके उषा बहन, बीके अशोक वर्मा, बीके रिंकू बहन, जिला परिषद सदस्य निर्जला देवी एवं पूर्व मुखिया अरूण कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया।
तीन दिनों तक चले आध्यात्मिक प्रदर्शनी को देखने और समझने के लिए काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। समापन के दिन प्रदर्शनी समझाते हुए बी के मनोरम दीदी ने प्रदर्शनी में लगे मुख्य चित्रों पर बताते हुए कहा कि प्रथम चित्र मानव जीवन का लक्ष्य है , हर मनुष्य चाहता है नर से नारायण और नारी से लक्ष्मी सामान बनना। संस्था में इसे सहज राजयोग के माध्यम से सिखाया जाता है। दूसरा चित्र आत्मा का परिचय था,जिसपर उन्होंने विस्तार से कहा कि आज सारे विश्व में जितनी समस्याएं बढ़ रही है उसका मूल कारण मनुष्य अपने को आत्मा ना समझ शरीर समझने लगा है, और शरीर समझने से देह अभियान में आ जाता है ।उन्होंने सृष्टि के 5000 वर्ष के चक्र को विस्तार से बताया। साथ-साथ 5000 वर्ष के कलप की जानकारी दी। एक कलप के चार युगो के बारे में भी बताया जिसमें प्रत्येक युग 1250 वर्ष होने की जानकारी दी। उन्होंने कल्पवृक्ष ,झाड़ ,त्रिमूर्ति सीढी,शिवशंकर मे अंतर, आदि पर विस्तार से बताते हुए कहा कि सहज राजयोग के अभ्यास से अष्ट शक्ति की प्राप्ति होती है।
कार्यक्रम के समापन पर सभी अतिथियों को ईश्वरीय सौगात भेंट की गई । तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन पर संयोयिका बीके उषा बहन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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