- गरीबों को बीएड ,डीएलईडी आदि अन्य शिक्षा से संबंधित डिग्रियां व डिप्लोमा की पढ़ाई-ट्रेनिंग की निःशुल्क व्यवस्था करें सरकार -जागाराम शास्त्री।
अशोक वर्मा
मोतिहारी : भारतीय दलित साहित्य अकादमी के प्रदेश अध्यक्ष जागाराम शास्त्री ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बिहार सरकार के शिक्षक भर्ती नियमावली के अनुसार ,शिक्षक वही बन सकेंगे जो सामान्य शिक्षा के साथ साथ डीएलएड या समकक्ष योग्यता रखते हो । उन्होंने कहा कि गरीब युवक व युवतियां किसी प्रकार सामान्य शिक्षा तो प्राप्त कर लेते हैं । किंतु , आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वे बीएड डीएलएड एवं अन्य डिग्री ,डिप्लोमा प्राप्त नहीं कर पाते हैं। उक्त प्रकार की डिग्री व डिप्लोमा के लिए सरकारी संस्थान बहुत कम है जबकि प्राइवेट संस्थानों की भरमार है, जहां गरीब विशेष कर अनुसूचित जाति /जन जाति /अतिपिछड़ी जाति के लाखों युवक व युवती चाह कर भी मनमानी शुल्क देकर अपना नामांकन कराने में सक्षम नहीं है । ऐसे लाखों शिक्षित बेरोजगार डिग्री व डिप्लोमा के अभाव शिक्षक भर्ती परीक्षा में बैठ ही नहीं पाते है जो गरीबों के साथ नाइंशाफी है । शिक्षक नियुक्ति पत्र लेने के लिए
गांधी मैदान मोतीहारी के इर्द गिर्द लगी चार चक्का वाली गाड़ियों एवं मोटर साइकिलों की भरमार यह बयां कर रही थी कि अधिकतर धनी परिवार( सवर्ण , पिछड़ा ,अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति एवं जनजाति)के लोगों की शिक्षक पद पर नियुक्त हुई हैं ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद जी ने 1994 के दशक में शिक्षक बहाली की जो नियमावली बनाई थी । वह नियमावली धनी ,गरीब तथा सभी जाति ,संप्रदाय के लोगों के लिए बेहतर था। उस समय इंटर व स्नातक द्वितीय श्रेणी से पास सभी अभियार्थियों को शिक्षक बहाली परीक्षा में शामिल होने योग्य माना गया था । परीक्षा बीपीएससी द्वारा ही ली जाती थी । परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त कर दिया जाता था । बाद में उन्हें ट्रेनिंग कराई जाती थी । श्री शास्त्री ने कहा कि गरीब दलित शिक्षित बेरोजगारों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए बिहार की वर्तमान सरकार को भी उक्त प्रकार से शिक्षक बहाली की नियमावली बनानी चाहिए । अथवा गरीब युवक युवतियों को निशुल्क बीएड,DLED आदि डिग्री व डिप्लोमा कराने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जानी चाहिए ।