सीता माता की जन्मभूमि का विकास न होना दुर्भाग्यपूर्ण : प्रशांत किशोर

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  •  प्रशांत किशोर ने पदयात्रियों के साथ जानकी मंदिर में की पूजा अर्चना
सीतामढ़ी से अशोक वर्मा
आदि  शक्ति जगत जननी मां जानकी की प्राकट्य भूमि सीतामढ़ी जानकी मंदिर और पुनौरा धाम का अभी तक पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं किया जाना नेताओं और सरकारों की उदासीनता का जीवंत उदाहरण है। अपने सीने में अनेक ऐतिहासिक तथ्यों को छुपाए इस सीतामढ़ी जिला क्षेत्र को बहुत पहले ही विकसित किया जाना चाहिए था। इसे अविकसित रखना दुर्भाग्यपूर्ण है।उक्त बातें आज जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने जानकी मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद कही। उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक पुराणों और ग्रंथों में हल चलाने के दौरान राजा जनक को धरती से सीता जी मिली थी।‌ अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने वाले नेताओं को सीता मैया की चिंता क्यों नहीं होती? सीतामढ़ी जिले के लोग आज भी गरीबी, फटेहाली और बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं। गांवों में विकास कार्य कहीं नहीं दिखाई दे रहा। सड़कें आज भी टूटी हुई है और गांव के गांव झोपड़ पट्टियों से भरे पड़े हैं। यहां के लोगों की वार्षिक आय मात्र 20600 है जो बिहार में सबसे कम है। उन्होंने कहा कि जानकी मंदिर के महंथ ने जानकारी दी कि
सीतामढ़ी 19वें  तीर्थंकर मल्लिनाथजी, एक मात्र महिला तीर्थंकर, 21वें तीर्थंकर नमिनाथजी जी के अवतरण व ज्ञान भूमि भी है। डुमरा सीतामढ़ी में भव्य कलात्मक जैन मंदिर है।
सीतामढ़ी शिवहर जिलों को मिलाकर 57 पुरातात्वविक स्थल हैं‌ जो 2300 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। कई स्थल‌ 8वीं शताब्दी तक के हैं लेकिन उत्खनन नहीं होने से उनके महत्व स्थापित नहीं हो पा रहा है।
सीतामढ़ी से सटे विख्यात हलेश्वरस्थान में नदी के किनारे लगभग 20 एकड़ में फैला 2200 वर्ष पुराना पुरातात्त्वविक स्थल सतह पर दिखता है।
शिवहर उत्तर बिहार का एक मात्र जिला है जहाँ  बौद्ध मंदिर के पुरावशेष मिले हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि यह शोध का विषय है और राज्य व केंद्र सरकार को पुरातत्व सर्वेक्षण और उत्खनन कराकर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सीतामढ़ी का उल्लेख
वृहद् विष्णु पुराण व जैन ग्रन्थों में सीता और उपरोक्त जैन तीर्थंकरों की जन्मभूमि के रूप में है। उक्त जानकारी देते हुए जन सुराज के मुख्य प्रवक्ता संजय कुमार ठाकुर ने बताया कि  जानकी मंदिर, सीतामढ़ी एवं श्री पुनौराधाम जानकी जन्मभूमि के रूप में एक दूसरे के पूरक हैं।
इस मंदिर के महंतगद्दी का पंचनामा गोस्वामी तुलसीदास ने दरंभगा महाराज की उपस्थिति में किया था। श्री जानकी मंदिर में , जैन मुनी श्रीविजय, महात्मा गाँधी,   राहुल सांकृत्यायन, रामधारी सिंह दिनकर,अज्ञेय, अमृतलाल नागर जैसे महानुभावों का शुभागमन हुआ है।
मुख्य रूप से कृषि पर आश्रित सीतामढ़ी  जिले में पर्यटन एवं धार्मिक पर्यटन की असीम  विकास की  संभावनाएँ है।
मौके पर बड़ी संख्या में जन सुराजी साथी मौजूद थे जिन्होंने भी पूजा अर्चना की।
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