राजद जब भी सरकार में आती है असामाजिक तत्वों का मनोबल ऊंचा हो जाता है :प्रशांत किशोर

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अशोक वर्मा
 समस्तीपुर : दरभंगा में दो समुदायों के बीच जमकर हुई पत्थरबाजी आरजेडी जब भी सरकार में आती है, तो समाज में असमाजिक तत्व काफी सक्रिय हो जाते हैं , कुर्सी बचाने के चक्कर में नीतीश कुमार का कानून व्यवस्था पर ध्यान नहीं।
 दरभंगा  पिछले दो तीन दिनों से जल रहा है। शहर से लेकर गांव तक पथराव और उत्पात की सूचनाएं सामने आ रही हैं। कहीं झंडे लगाने को लेकर तो कहीं जमीन को लेकर दो समुदायों के बीच जमकर पत्थरबाजी हो रही है। इसी बीच, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि आरजेडी जब भी किसी गठबंधन में रहा है या सरकार में रहती है तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ता है। ये हाल हम बिहार में देख रहे हैं कि पिछले चार-पांच महीनों से बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ रही है। प्रशांत किशोर में कहा कि महागठबंधन बना था तब से लोगों के मन में आंशका है कि कानून व्यवस्था बिहार में बिगड़ेगी। कानून व्यवस्था की स्थिति महागठबंधन से पहले भी बहुत अच्छी नहीं थी। दूसरा कारण यह है कि जो यहां का गृह विभाग है, वो मुख्यमंत्री के अधीन है। कहीं न कहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोकस शासन-प्रशासन व्यवस्था पर नहीं है। सीएम अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण लाभ में पड़े हुए हैं। कभी भागकर इधर, तो कभी पलटकर उधर। आज बिहार की राजनीति में इस तरह का तिकड़म बाजी  नहीं हुआ था। विधायकों की संख्या के आधार पर तीसरे नंबर पर आने वाली पार्टी जदयू भाजपा और आरजेडी को ब्लैकमलिंग कर सत्ता के शीर्ष पर काबिज रहने में सफलता प्राप्त कर रही है । इसका खामियाजा बिहार की जनता भुगत रही है। प्रशांत किशोर  ने कहा कि  नीतीश जी जब आपका पूरा समय इस पर लगा हुआ है कि कौन सा राजनीतिक जोड़ बनाएं, किसको जोड़ें, किसको हटाएं, कैसे सरकार बचाएं, कैसे कुर्सी बचाएं, तो आपके पास समय कहां हैं कि आप कानून व्यवस्था देखिएगा।
*शराबबंदी हटाओ, शराबबंदी से कमाओ, शराबबंदी को छुपाओ: प्रशांत किशोर*
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था बिगड़ने के लिए दूसरी वजह  है  “शराबबंदी का कानून”। सरकार द्वारा ये जो शराबबंदी का कानून लागू किया है, इसे लागू करने से सिर्फ शराब की दुकानें बंद हुईं। लेकिन, घर-घर शराब बिक ही रही है। प्रशासन की प्राथमिकता शराबबंदी हो गई है। शराबबंदी लागू करो, शराबबंदी हटाओ, शराबबंदी से कमाओ, शराबबंदी को छुपाओ। जब प्रशासनिक व्यवस्था का पूरा ध्यान शराबबंदी पर ही लगा रहेगा, तो सामान्य कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी ही।
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