पारंबा  सेवा शक्ति पीठ चंचल बाबा आश्रम में  गुरु पूर्णिमा महोत्सव का भव्य आयोजन

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अशोक वर्मा 

मोतिहारी  : रेलवे स्टेशन से सटे पश्चिमी रोड मे 4 दशकों से संचालित पारंबा सेवा शक्ति पीठ चंचल बाबा आश्रम में प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरू पूजन महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। आश्रम के सभा भवन में आयोजित कार्यक्रम में अहले सुबह से ही भक्त इकट्ठे होने लगे थे और पूजा अर्चना में लगे रहे।  मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए शिष्यों की काफी संख्या उमडी। निर्धारित समय पर 11 बजे शक्ति शरण महाराज उर्फ चंचल बाबा ने अपने गुरु की पूजा विधि विधान से की। सर्व प्रथम उन्होने अपने गुरू की मूर्ति को गंगाजल एवं इत्र स्नान कराया गया उसके बाद विधि विधान से नारियल तोड़ा गया ।फिर धूप अगरबत्ती के साथ  आरती कर  गुरु पूजन किये। गुरु पूजन के बाद वे ब्यास गद्दी पर बैठे जहां भक्तों के जयकारा के बीच उनकी पूजा अर्चना शुरू हुई। बड़े सभागार में दो पंक्तियों में महिला और पुरुष भक्त पंक्तिबद्ध खडे रहे । उक्त अवसर पर दूर दराज के कई मठ मंदिरों से पधारे साधु संत खुद व्यवस्था का संभाल रहे थे। कई साधु महात्मा मंच पर भी बैठे थे ।पारंबा शक्ति पीठाधीश्वर श्री श्री 108 श्री शक्ति शरणानंद जी महाराज चंचल बाबा को नमन करके उपहार देते रहे तथा चंचल बाबा सभी शिष्यों को चंदन टीका लगाकर देवी प्रसाद उन्हें देकर आशीर्वाद देते रहे ,यह सिलसिला दिन भर चला और हजारों शिष्यों को उन्होंने आशीर्वाद दिया। भारतीय भक्ति मार्ग के परंपरा में गुरु शिष्य का अटूट रिश्ता होता है और यह परंपरा  आज तक चला आ रहा है ।गुरु अपने  शिष्य को बड़ा मानते हैं ।और शिष्य गुरु को श्रेष्ठ मानते है।हैं ।इस वर्ष के गुरु पूजन महोत्सव के अवसर पर शिष्यों को संबोधित करते हुए चंचल बाबा ने कहा कि आज का दिन वास्तविक रूप मे शिष्यों का दिन है क्योंकि कोई भी गुरु चाहता है कि उसका शिष्य उनसे भी आगे निकले तथा उनसे भी  शक्तिशाली हो लेकिन जिस तरह गुरु की इच्छा होती है उसी तरह शिष्य की भी भावना होती है। गुरू ही भगवान  से मिलाते है,यह मान्यता आरंभिक  दौर से चल रहा है।गुरु के बताए मार्ग पर जो भी शिष्य चलता है वह बहुत आगे बढ़ता है ।उसके घर में दुख ,अशांति कलः क्लेश आदि नहीं होते हैं ।चंचल बाबा ने यह भी कहा कि वर्तमान समय दुनिया मे दिनोदिन कष्ट बढता जा रहा है।  प्रकृति के तमो प्रधान होने से दुखों का पहाड़ गिरने वाला है ।महामारियां फैलेगी, अति वृष्टि अना वृष्टि होने से अनाज उत्पादन पर बहुत बुरा असर हो रहा है । उन्होंने इसके निदान पर कहा कि जो भी भक्त गुरु के आदेश पर चलेंगे तथा ईश्वरीय मार्ग पर अपना जीवन आगे बढ़ाएंगे उनका जीवन खुशहाल रहेगा ।उन्होंने यहभी कहा कि वर्तमान समय भोजन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। तामसी भोजन ही अनेक बीमारियों को जन्म दे रहा है अतः भोजन के बारे में जो कहा गया है कि जैसा अन्न वैसा मन इस बात पर सभी को ध्यान देना होगा क्योंकि विकट परिस्थिति में जो लोग भी सात्विक  और आध्यात्मिक होंगे वे सुरक्षित रहेंगे और जो गलत मार्ग पर चलेंगे तथा तामसी आहार लेंगे उनके लिए परेशानियां बढ़ेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय परंपरा में सुबह-शाम घरों में  अगरबत्ती  धूप जलना तथा कीर्तन भजन करने की परंपरा थी। धीरे-धीरे परंपरा विलुप्त होती गई परिणाम हुआ कि आज घर-घर में तनाव और डिप्रेशन है तथा पागलों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में ब्रह्म मुहूर्त में निश्चय रूप से  उठ करके परमात्मा के प्रति आभार प्रकट करें । दैनिक पूजा अर्चना संख ध्वनि का गुंजन एवं हवन आदि निश्चित रूप से करें ताकि घर के आसपास जो भी गलत वायरस  उत्पन्न हो रहे हैं या फैल रहे हैं इससे बचाव हो सके।     इस वर्ष गुरू पूजनोत्सव मे दिल्ली,यूपी,नेपाल, एवं विहार के कई जिले से शिष्य भाग लिये।भीड नियंत्रण हेतु काफी संख्या मे महिला पुरूष पुलिस की व्यवस्था जिला पुलिस द्वारा किया गया था।गुरू पूजनोत्सव मे कई अवकास प्राप्त एवं कार्यरत अधिकारी दल बल के साथ पधारे थे।

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