अगर व्यवहार आपका ठीक नहीं है तो कोई भी आपकी ज्ञान से प्रभावित नहीं होगा- ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी

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अशोक  वर्मा
दुर्ग (छत्तीसगढ़) : आज चारो तरफ आध्यात्मिक  गुरू,राजनेता और  सामाजिक  क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रवचन ,उपदेश और शिक्षा आदि देने का सिलसिला काफी बढता जा रहा है,लेकिन बातों का प्रभाव कहीं दिख नहीं रहा है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थापना के साथ ही परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने ब्रह्मा तन का आधार लेकर स्पष्ट रूप से बता दिया है कि पहले जबतक स्वयं मे परिवर्तन नही होगा यानी खुद ज्ञान स्वरूप नही होगा तो उसके बातों का प्रभाव नहीं निकलेगा।और वह उसके लिए  तथा श्रोताओ के श्रोता और वक्ता के लिए  वह सिर्फ  वेस्ट ऑफ टाइम और वेस्ट आफ मनी ही होगा। इसी विषय पर -प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बघेरा स्थित आनंद सरोवर में श्रीमद् भागवत गीता के आध्यात्मिक रहस्य को सरल ढंग से स्पष्ट करने वाली प्रखर वक्ता ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी (कर्नाटक) का एक दिवसीय व्याख्यान हुआ। बीके वीणा दीदी रायपुर में होने वाले तीन दिवसीय “गीता ज्ञान महोत्सव” के अंतर्गत एक दिवसीय प्रवास पर  दुर्ग आगमन हुआ । अब तक आपने श्रीमद् भगवत गीता के आध्यात्मिक रहस्य पर 500 से अधिक प्रेरणादाई उद्बोधन दिए  हैं । इसके साथ ही 140 से अधिक देशों में प्रसारित होने वाले ब्रह्माकुमारीज के पीस ऑफ माइंड चैनल पर आपका 360 धारावाहिकों का प्रसारण किया जा चुका है । इसके अलावा गीता ज्ञान और तनाव मुक्त जीवन, स्ट्रेस मैनेजमेंट, गीता रहस्य और खुशहाल जीवन जीवनोपयोगी जैसे विषयों पर देश के विभिन्न स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में समय-समय पर आपके व्यख्यान आयोजित होते रहते हैं ।
         आज के व्याख्यान में वीणा दीदी ने बताया आप कितना भी ऊंचा ज्ञान सुना दीजिए लेकिन अगर व्यवहार आपका ठीक नहीं है तो कोई भी आपकी ज्ञान से प्रभावित नहीं होगा l अंदर अगर कड़वापन है तो झलकता क्या है ? ज्यादा देर तक आप अपनी वाणी का प्रभाव नहीं डाल सकते अंदर भाव जो है ना वह अपने आप बाहर आ जाता है इसलिए हमें अटेंशन रखना अपने भाव पर स्वभाव पर स्व की भावनाओं पर जो आत्मा का ओरिजिनल स्वभाव है स्वधर्म है (पवित्रता, सुख, शांति,आनंद, प्रेम) उसे जागृत करना है ।
             आपने बताया हमारे घर में प्रतिदिन गीता पाठ होता था गीता के एक श्लोक “यान्ति देव-व्रत देवं पितृन यान्ति पितृ-व्रतःभूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद-यजिनो ​​’पि माम ” जिसका अर्थ है जो लोग देवताओं की पूजा करते हैं, वे देवताओं के बीच जन्म लेंगे; जो लोग भूत-प्रेतों की पूजा करते हैं, वे ऐसे प्राणियों के बीच जन्म लेंगे; जो पितरों की पूजा करते हैं, वे पितरों के पास जाते हैं; और जो मेरी पूजा करते हैं, वे मेरे साथ रहेंगे। इस श्लोक के द्वारा ही भगवान व परमात्मा के प्रति मेरी खोज प्रारंभ हुई और ब्रह्माकुमारीज में आकर यह पूर्ण हुई । की किस प्रकार निराकार परमपिता परमात्मा “शिव” साधारण मनुष्य तन का आधार लेकर सच्चा गीता ज्ञान दे रहे हैं और मानव को देव बना रहे हैं ।
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