बच्चों में एईएस संबंधी लक्षण प्रतीत होते ही बिना देर किये उपलब्ध किसी वाहन से निकटतम सरकारी अस्पताल पहुंचाएं- जिलाधिकारी

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  • अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर की उपस्थिति दर्पण प्लस एप्प से मॉनिटरिंग कर सुनिश्चित की जा रही है
  • जिले में 15 वर्ष तक आयुवर्ग  के 11 लाख बच्चे हैं जिनके स्वास्थ्य की नियमित निगरानी हो रही है
मुजफ्फरपुर। चमकी बुखार की रोकथाम एवं बचाव हेतु जागरूकता अभियान को गति प्रदान करते हुए आज दूसरे शनिवार को भी जिला अंतर्गत सभी पंचायतों में संध्या चौपाल का आयोजन किया गया। मुख्य कार्यक्रम जिला पदाधिकारी श्री सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में बोचहा प्रखंड अंतर्गत झपहां पंचायत के मझौलिया ग्राम में संपन्न हुआ। जिला पदाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया।
बच्चों को एईएस संबंधी लक्षण प्रतीत होते ही बिना देर किये उपलब्ध किसी वाहन से निकटतम सरकारी अस्पताल पहुँचें। स्वास्थ्य केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त ट्रेंड डाक्टर हैं जो निर्धारित एसओपी के तहत इलाज करेंगे। यह बातें जिलाधिकारी श्री सुब्रत कुमार सेन ने बोचहा के मझौलिया ग्राम में आयोजित संध्या चौपाल में कही।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर की उपस्थिति दर्पण प्लस एप्प से मॉनिटरिंग कर  सुनिश्चित की जा रही है। स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत डॉक्टरों की गुणवत्तापूर्ण ट्रेनिंग दी गई है तथा ट्रेंड डॉक्टर के द्वारा ही सरकारी मानक संचालन प्रक्रिया के तहत इलाज की उत्तम व्यवस्था है। जिले में एईएस के इलाज की व्यवस्था एवं संसाधन की चर्चा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि एसकेएमसीएच में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त 100 बेड का डेडीकेटेड पीकू वार्ड गठित है। इसके अतिरिक्त सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केद्रों में आवश्यक संसाधन से पूर्ण इलाज की समुचित व्यवस्था है।
सभी पंचायतों में सरकारी/ प्राइवेट वाहन की टैगिंग की गई है तथा वाहन चालक का नंबर आशा,सेविका सहायिका को उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने वाहन के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि बच्चे को इन वाहनों के अतिरिक्त किसी अन्य वाहन से भी स्वास्थ्य केंद्र लाया जा सकता है जिसके लिये सरकारी निर्धारित दर (₹400 से लेकर ₹1000 तक ) से उन्हें भुगतान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जिलांतर्गत शून्य से 15 वर्ष तक आयुवर्ग  के 11 लाख बच्चे हैं जिनके स्वास्थ्य की नियमित निगरानी आंगनबाड़ी सेविका सहायिका आशा कार्यकर्ता के माध्यम से गृह भ्रमण कर प्रतिदिन की जा रही है।
 विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी जीरो डेथ के संकल्प को दोहराते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि वर्ष 2023 में 41 केस तथा वर्ष 2024 में भी 41 केस पाये गये किंतु लोगों की सावधानी, सतर्कता तथा सरकारी मशीनरी की तत्परता एवं कुशल प्रबंधन के कारण कोई मृत्यु नहीं हुई। पुनः इस वर्ष भी आम लोगों को सावधान एवं सतर्क रहने की अपील की तथा प्रशासनिक तंत्र को एक्टिव रहकर जीरो डेथ के संकल्प को पूरा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक 7 केस प्रतिवेदित है जिसमें दो मामले बोचहा प्रखंड के हैं।
विदित हो कि जिलाधिकारी द्वारा सरकारी अस्पतालों में एक ओर आवश्यक संसाधन से लैस कर गुणवत्तापूर्ण इलाज की व्यवस्था की गई है तो दूसरी ओर पंचायत/ वार्ड स्तर तक अधिकारियों एवं कर्मियों की तैनाती कर नियमित निगरानी, निरीक्षण एवं नियंत्रण की सुदृढ एवं सुव्यवस्थित तंत्र का प्रबंधन किया है। जिला अंतर्गत सभी 373 पंचायतो में जिला स्तर से लेकर अनुमंडल / प्रखंड एवं पंचायत स्तर के अधिकारियों एवं कर्मियों ने अपने अपने पंचायतों में के संध्या चौपाल में भाग लेकर जागरूकता अभियान को सफल बनाया।
संध्या चौपाल में उपस्थित सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार ने एईएस के लक्षण, सावधानी के तहत चमकी  की तीन धमकी तथा लक्षण प्रतीत होते ही त्वरित रूप से अस्पताल पहुंचने की सलाह दी।
 लक्षण:
-चमकी के साथ तेज बुखार
-सरदर्द
-अर्द्ध या पूर्ण बेहोशी
-शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
इन लक्षणों की चर्चा करते हुए सिविल सर्जन ने चमकी की तीन धमकी (खिलाओ, जगाओ, अस्पताल ले जाओ ) का पालन करने को कहा।
खिलायें- बच्चों को रात में सोने से पहले भर पेट भोजन जरूर करायें। यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलाएं।
जगायें – रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं।
अस्पताल ले जाएं- बेहोशी या चमकी दिखते ही  तुरंत नि:शुल्क एंबुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें।
 सामान्य उपचार एवं सावधानी:
तेज धूप में जाने से बचें।
दिन में दो बार नहायें।
रात में पूरा भोजन करके सुलायें।
लक्षण दिखते ही ओआरएस का घोल या चीनी और नमक का घोल पिलायें।
क्या करें:
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजा पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें।
पारासिटामोल की गोली/ सिरप मरीज को चिकित्सीय सलाह पर दें।
यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलायें।
बेहोशी /मिर्गी की अवस्था में बच्चों को छायादार एवं हवादार स्थान पर लिटाएं।
चमकी आने पर मरीज को बायें या दायें करवट  लिटाकर ले जाएं।
बच्चे को शरीर से कपड़े हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें।
अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछें जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।
तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढँकें।
 क्या ना करें:
बच्चे को कंबल या गर्म कपड़ों में ना लपेटें।
बच्चे की नाक बंद नहीं करें।
बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी न दें।
बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें।
चूँकि यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है। अतः बच्चे के इलाज में ओझा गुणी में समय नष्ट न करें।
मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग न करें।
ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर न हो और  शांत वातावरण बनाये रखें।
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