मुजफ्फरपुर : औराई। श्रावण मास का पावन महीना चल रहा है। ऐसे में जिले के तमाम शिव मंदिर में कांवरिया तथा भक्तों का जत्था काफी संख्या में देखा जा रहा है। आपको बता दें कि उत्तर बिहार का देवघर कहे जाने वाले बाबा गरीबनाथ पर एक ओर जहां रविवार से ही कांवरिया का जत्था जलाभिषेक करने को लेकर भारी संख्या में पहुंचे तो इधर, औराई प्रखंड इलाके के हजारों वर्ष पुराना तथा प्राचीन मंदिर बाबा आनंद भैरवनाथ पर सावन की तीसरी सोमवारी पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। जिसमें बिहार के सीमावर्ती इलाके के कई जिलों से तथा नेपाल के तराई क्षेत्र से आए कावरियों का काफी संख्या में भीड़ देखने को मिला। बम बम महादेव तथा त्रिलोकीनाथ के जयकारे से पूरा मंदिर प्रांगण तथा इलाका दिनभर भक्तिमय रहा। बाबा आनंद भैरवनाथ के विषय में धारणा है कि वे हजारों वर्ष पहले स्वयं यहां आकर विराजमान हुए थे। कहा जाता है कि राजा जनक जी के छोटे भाई कुशध्वज महाराज का यहीं से सटे टेका बाजार के निकट उनका राजधानी था। आज कल जो राजखंड गांव कहा जाता है कुशध्वज महाराज के समय में लोग इसे राजकुंड कहा करते थे। शास्त्र की माने तो एक समय में भोलेनाथ और भैरव नाथ के बीच किसी बात को लेकर नाराजगी हुई, जिसके बाद बाबा भैरव नाथ रूस कर यही आ कर विराजमान हो गए। जिसके बाद लोग इनका पूजा अर्चना करने लगे। पौराणिक युग से यहां बड़े-बड़े साधु संत आकर रहते थे।वही, एक पुजारी यहां के बतहू बाबा थे, जो पूजा पाठ करते थे उसके बाद उन्होंने विधायक जनप्रतिनिधि तथा कई सम्मानित लोगों से आग्रह करके धर्मशाला तथा कुएं का निर्माण करवाया। बाबा आनंद भैरवनाथ को श्रद्धा भाव से लोग पूजा अर्चना करने लगे इसके बाद लोगों ने यहां आकर मन्नत माना। भक्तों को असीम आनंद प्रदान करने के बाद लोग इन्हें बाबा आनंद भैरवनाथ के नाम से पुकारने लगे। प्राचीन युगों से आज भी यहां बसंत पंचमी तथा होली के अवसर पर मेला लगता है। जो की एक दर्शनीय स्थल पूरे बिहार तथा नेपाल के तराई क्षेत्र के लोगों के लिए है। वही, मंदिर के पंडा संतोष बाबा ने बताया की 50 हजार से ऊपर श्रद्धालुओं ने बाबा पर जलाभिषेक किया है। पहले सुबह से ही जलाभिषेक को लेकर कांवड़ियों तथा स्थानीय श्रद्धालुओं का काफी संख्या में भी दिन भर देखने को मिला। इधर, भरथुआ गांव के प्रसिद्ध मंदिर बाबा नमोनाथ पर भी भक्तों ने जलाभिषेक किया। हालांकि पहले भैरवस्थान में बैल का मेला लगता था लेकिन अब बहुत कम देखने को मिलता है। वही, सुरक्षा व्यवस्था की यदि बात करें तो सावन की तीसरी सोमवारी पर आज स्थानीय पुलिस की भी तैनाती थी।
