उपेक्षित एवं कमजोर वर्ग के नेता रामसेवक राम नहीं रहे

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अशोक वर्मा
मोतिहारी : अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी महासंघ के पूर्वी चंपायण जिला अध्यक्ष राम सेवक राम की मृत्यु हृदय गति रुक जाने से हुई। बचपन से ही  बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की नीति एवं सिद्धांत पर चलने वाले स्व० रामसेवक राम अति संवेदनशील व्यक्ति थे ।नौकरी में आने के बाद  कर्मचारियों की लड़ाई हमेशा लड़ते रहे ।इतना ही नहीं समाज में जिस संस्था ने दलित वर्ग की  लड़ाई लड़ी वे हमेशा उनके साथ रहे । बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना के लिए उन्होंने काफी प्रयत्न किया था। अंबेडकर भवन में जिला प्रशासन ने बाबा साहेब की मूर्ति लगाई। सांस्कृतिक संगठन जन संस्कृति मंच के मिशन में वे हमेशा जुड़े रहे तथा कला के माध्यम से शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ उन्होंने आवाज बुलंद की। चंद वर्ष पूर्व वे नौकरी से सेवानिवृत हुए लेकिन हमेशा संघर्ष से जुड़े रहे ।गांव में भी उन्होंने दलितों की लड़ाई लड़ी तथा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के शिक्षित बनो, संगठित हो एवं संघर्ष करो के नारा को साकार रूप देने में लग रहे। अवकाश ग्रहण करने के बाद वे हमेशा अपने संघर्ष के बजूद  पर जीवंत रहे। चाहे प्रेमचंद जयंती हो या कमजोरो की लड़ाई हो हर जगह रामसेवक राम खड़े  रहते थे। सरकारी नौकरी के बंधन के बावजूद भी नगर निगम के मजदूरों की लड़ाई में हमेशा साथ रहे और उनके साथ  खड़े रहे।
राम सेवक राम की मृत्यु की खबर से लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। काफी लोगों ने शोक-संवेदना व्यक्त की।
 संवेदना व्यक्त करने वालों में भैरव दयाल सिंह,ध्रूब त्रिवेदी, अशोक कुशवाहा ,भाग्यनारायण चौधरी, अच्युतानंद पटेल, विजय उपाध्याय, जगदीश विद्रोही सहित काफी लोग हैं।
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