- महासभा ने शक्ति प्रदर्शन कर चंपारण के राजनीतिक समीकरण को डामाडोल किया
- महात्मा गांधी प्रेक्षागृह को गैर राजनितिक बैनर वाले अनुसूचित जाति और जनजाति ने पूरी तरह भर दिया।
अशोक वर्मा
मोतिहारी : नगर के राजा बाजार स्थित महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित वंचित वर्ग चेतना महासभा में जिले के विभिन्न कोणों से अप्रत्याशित संख्या में अनुसूचित जाति जनजाति के लोग शामिल हुए। हिंदी बाजार चौक स्थित रविदास भवन से एक आकर्षक शोभायात्रा निकली जो 4 किलोमीटर की यात्रा तय कर प्रेक्षागृह पहुंची ।चंपारण के इतिहास में अनुसूचित जाति जनजाति का इतना बड़ा सम्मेलन कभी नहीं हुआ था। बदलते दौर में इस वर्ग के लोगों के वाहन देख उनके आर्थिक पक्ष की मजबूती का सबूत भी मिला। हर दृष्टिकोण से अब यह वर्ग कहीं से भी अपने को कमजोर नहीं समझ रहा और सभा भवन में पहुंचने जय भीम एवं बाबा साहब का नारा गूंज गया। सभा को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के संयोजक विद्या राम ने कहा कि यह कार्यक्रम बिल्कुल ही गैर राजनीतिक है, इसमें भाग लेने वाले लोग भले ही किसी न किसी दल के हो सकते हैं लेकिन यह विशुद्ध रूप से चमार महासंघ के द्वारा आयोजित है तथा संत रविदास जी के जयंती के अवसर पर यह कार्यक्रम काफी पहले तय किया गया था। कहा कि जिस उमंग और उत्साह एवं जोश के साथ अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की भागीदारी हुई है भविष्य मे यह हमारे लिए एक बड़ी शक्ति के रूप में साबित होगी। अब तक जिन लोगों ने इस वर्ग की उपेक्षा की तथा हमेशा डराया, धमकाया और प्रताड़ित किया अब इस वर्ग को अपनी शक्ति का एहशास हो गया है जिसका प्रतीक है कि आज यहां इतनी संख्या में स्त्री और पुरुष भाग लिए है। कार्यक्रम में जिले के लगभग सभी उभरे हुए अनुसूचित जाति जनजाति के नेता शामिल हुए और सभी ने संकल्प लिया कि शिक्षित, संगठित और संघर्ष को जीवन में अपनाकर बाबा साहेब के अरमान को पूरा करेंगे । उक्त अवसर पर जिले के अनुसूचित जाति जनजाति के नेताओं को मोमेंट देकर उन्हें सम्मानित भी किया गया । मंच पर नौजवान उत्साह में बड़े-बड़े झंडा लिए हुए काफी देर तक नारेबाजी किये। उपस्थित भीड़ नियंत्रित रही एवं धैर्य के साथ लोगों ने अपने नेताओं को सुना ।संबोधित करने वालों में संतोष मोहन देव, हेमराज राज, शिवचंद्र राम ,राजेंद्र राम, मनोज अकेला ,राकेश राही, शंभू राम ,डॉक्टर अजय कुमार राम आदि मुख्य रूप से थे।संचालन पारसनाथ और संतोष मोहन देव ने किया। सभी ने एक स्वर से एकजूटता की बातें की । कानून संबत मिले अधिकार को जमीन पर उतारने की मांग की। लोगों में गजब का उत्साह और जोश था । भीड़ नियंत्रित थी। सभा हॉल के बाहर चाय की भी व्यवस्था की गई थी। मोटरसाइकिल एवं कार के काफिला को देख सहज अंदाजा लगाया जा सकता था कि यह जाति अब अपने हक्क को लेकर जागरूक है। अब इनको कोई बरगला नहीं सकता है। मंच पर वक्ताओं के बातों को देख ऐसा लगा कि इन लोगों ने ठान लिया है कि अब हम किसी भी दल के भोपू या पिछलग्गू नहीं बनेंगे, हमें हमारा हक मिलना चाहिए । सच में एक राजनीतिक दल के बहुत बड़े नेता ने बहुत पहले कहा था कि अगड़ी जाति से सत्ता पिछड़ी जाति ने छीना और अब हमारी बारी है। अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों के कंधे पर बड़ी जिम्मेवारी है।
मंच के नीचे दर्शन दीर्घा में अनुसूचित जाति जनजाति के पूर्व विधायक राजेंद्र राम राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व प्राचार्य शशि कला तथा विभिन्न दलों के बड़े-बड़े नेता बैठे थे।
