एमडीए अभियान को लेकर जीविका के कर्मियों का किया गया उन्मुखीकरण

4 Min Read
  • 80 % हाइड्रोसिल के मामले फ़ाइलेरिया के कारण- डॉ. राजेश पांडेय 
  • पीसीआई द्वारा आयोजित की गयी उन्मुखीकरण कार्यशाला 
  • जीविका के संकुल कर्मियों ने एमडीए को सफल बनाने का लिया संकल्प
पटना:  आगामी 10 फ़रवरी से शुरू होने वाले एमडीए अभियान में जीविका के कर्मियों के लिए वर्चुअल उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गयी. वर्चुअल माध्यम से आयोजित कार्यशाला में जीविका के डीपीएम, एचएम सहित अन्य कर्मियों ने भाग लिया. कार्यशाला में शामिल प्रतिभागियों को फ़ाइलेरिया होने के कारण, एमडीए अभियान के दौरान दवा सेवन की महत्ता तथा जागरूकता की जरूरत पर बल दिया गया.
80 % हाइड्रोसिल के मामले फ़ाइलेरिया के कारण: डॉ. राजेश पांडेय:
कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. राजेश पाण्डेय ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। उन्होंने बताया कि 80 % हाइड्रोसिल के मामलों के पीछे कारण फ़ाइलेरिया होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है एवं विश्व भर में विकलांगता का दूसरा बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि अगर हर लाभार्थी लगातार 5 साल तक फाइलेरिया रोधी दवा खा लेता है तो फाइलेरिया उन्मूलन संभव  है.
उन्होंने कहा कि आगामी 10 फरवरी से राज्य के 24 जिलों में एमडीए के माध्यम से फाइलेरिया रोधी दवाएं घर-घर जाकर लोगों को खिलाई जाएगी. एमडीए अभियान को सफल बनाने के लिए उन्होंने जीविका कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण बताई एवं उनके सहयोग की अपील भी की.
दवा सेवन को बढ़ाना लक्ष्य:
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पीसीआई इंडिया की राजश्री दास ने बताया कि समुदाय में जागरूकता की अलख जगाने में जीविका दीदियों की भूमिका अहम् है. जीविका दीदियों की पहुँच गाँव-गाँव तक होती है. इसलिए वह समुदाय को एमडीए पर जागरूक करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने बताया कि राज्य में पिछले एमडीए राउंड में करीब 53 प्रतिशत दीदियों ने दवा का सेवन किया था. इस वर्ष इनका प्रयास होना चाहिए कि कम से कम 90 प्रतशत जीविका दीदियाँ दवा का सेवन करें. सोम्या शालिनी, एच एंड एन मेनेजर ने जीविका की तरफ से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया.
पीसीआई की राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, एनटीडी डॉ. पंखुड़ी मिश्रा ने कहा कि अभियान की बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कार्य किये जा रहे हैं तथा जीविका के साथ समंवय स्थापित कर कार्ययोजना बनायी जा चुकी है. उन्होंने बताया कि अभियान का संचालन अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. परमेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में किया जायेगा.
कार्यशाला में शामिल प्रतिभागियों द्वारा प्रश्न पूछे गए जिनका जवाब दिया गया. कार्यशाला में जीविका के कर्मियों के अलावा सोम्या शालिनी, एच एंड एन मेनेजर, फ़ाइलेरिया के राज्य सलाहकार डॉ. अनुज रावत, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पिरामल स्वास्थ्य, पीसीआई, सिफार के प्रतिनिधि जुड़े.
47
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *