हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया

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 गया।गया कॉलेज गया हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है ।जिसका विषय था गांव कस्बे का साहित्य और सिनेमा बतौर मुख्य अतिथि जाने-माने हिंदी फिल्मों के पटकथा  लेखक शैवाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज समाज काल और रचना को पुनर्परिभसित  करने की आवश्यकता है वैश्वीकरण के इस दौड़ में जब हम ग्लोबल विलेज की बात करते हैं तो रेनू और प्रेमचंद के चर्चाओं के बिना एक सूनापन महसूस होता है नैतिक मूल्य में हो रहे इस ह्रास को रोकने में भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है और अपने वजूद को बचाए रखने के लिए हमें अपनी भाषा को भी बचना होगा पाश्चात्य जगत की चर्चा करते हैं उन्होंने कहा कि उनके पास पूंजी है बाजार है सुख है सुविधा है लेकिन उनके पास प्रेमचंद और रेनू नहीं है पंत और निराला नहीं है उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में पत्र और पत्रिकाओं का प्रकाशन घटता जा रहा है जो चिंता का विषय है वेब सीरीज पर चर्चा करते हैं उन्होंने कहा कि वेब सीरीज का बना सही है परंतु उसकी विषय वस्तु में आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है और राग दरबारी पर वेब सीरीज बने एक ओर जहां भोजपुरी फिल्मों में हमें भाषाई अपनापन का एहसास तो होता है लेकिन वही जो अश्लीलता परस दी जाती है उसे तकलीफ भी होती है दक्षिण के फिल्मों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उसमें गांव कस्बे का पूरा उल्लेख रहता है फिल्मों की पटकथा लेखन के पहले उसे स्थिति में जीना रचना बसना पड़ता है तभी हम सही चित्रण कर पाते हैं वही प्रधानाचार्य गया कॉलेज गया सतीश सिंह चंद्र ने अपने संबोधन ने कहा कि हिंदी हम सबों की प्रथम भाषा है जिसमें हमने बोलना और जीना सीखाया है हिंदी को मां का दर्जा प्राप्त होना चाहिए साथ ही साथ हमें अन्य भाषाओं के प्रति भी सम्मान का भाव रखना चाहिए आज हिंदी लगभग पूरे भारत में बोली जा रही है आवश्यकता है हिंदी और अंग्रेजी के बीच समन्वय स्थापित कर हिंदी के प्रचार प्रसार को बढ़ावा दिया जाए स्वागत भाषण विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सोनू अन्नपूर्णा ने प्रस्तुत किया है अपने भाषण में  अध्यक्ष हिंदी विभाग डॉक्टर राम उदय ने कहा कि  हिंदी की गरिमा को पुनः प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी ने ही देश को एक सूत्र में बंधा था और हम सब अंग्रेजों के खिलाफ उठ खड़े हुए थे हिंदी सदा से राष्ट्र को जोड़ने वाली भाषा रही है. हिंदी विभाग के भूतपूर्व विभाग अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते उन्होंने कहा कि सुरेंद्र चौधरी को हिंदी के साथ-साथ अन्य भाषाओं का भी व्यापक ज्ञान था जनसंपर्क पधाधिकारी डा धनंजय धीरज ने बताया की  हिंदी विभाग द्वारा प्रकाशित वार्षिक पत्रिका ज्ञान वर्तिका के तृतीय अंक का भी विमोचन किया गया और  यह अंक सुरेंद्र चौधरी स्मृति अंक के नाम से जाना जाएगा।इस  मौके पर हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डा रवि कुमार, डा जितेंद्र कुमार , सहित विभिन्न विभागों के विभाग अध्यक्ष शिक्षक समेत सभी शिक्षक कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे
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