अशोक वर्मा
मोतिहारी : दो माह की प्रतीक्षा ने रंग लाई, रूठी वर्षा रानी मान गई, जिले में दूसरे दिन लगातार बारिश होती रही। खेत जो सुख रहे थे, धान के पौधे प्यास से तड़प रहे थे, वर्षा रानी ने सबको तृप्त किया और एक बार किसानों के चेहरे पर खुशियां लौट आई ।जिन लोगों ने खर्चीले पंपिंग सेट से पानी पटवन कर जैसे तैसे रोपनी किये थे उन लोगों के लिए चांदी रही और जो लोग हार थाक कर खेत को परती छोड दिये थे,वे बाजी हार गये।
वर्षा रानी ने किसानों को तो खुश कर दिया लेकिन एक विभाग को दुखी कर दिया ,वह विभाग है नगर निगम । उसके खोखले वायदे, खोखले कार्य का पोल खुल गया। लोगों का जीना मुहाल हुआ ।पूरा शहर नरक हो गया है।शायद हीं कोई भी ऐसा मोहल्ला होगा जहां नाली उपटकर सड़क पर बह नही रहा हो।नाली से पानी का बहाव बंद है।चारो तरफ कीचड़ ही कीचड़ ,बदबू हीं बदबू है।पूरा शहर सड़ांध के बदबू से बजबजा गया है। सबसे बुरा हाल वर्तमान जानपुल से बेतिया रक्सौल जाने वाली सड़क का है ।यह सड़क नेपाल काठमांडू जाने की मुख्य सड़क है ।दिल्ली एवं अन्य प्रदेशों से आने वाले जो भी छोटे बड़े वाहन है,इसी रास्ते से गुजरते हैं ।प्रतिवर्ष इस सड़क की स्थिति ऐसी हीं पीड़ादायक हो जाती है ,सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं इसी से बड़े-बड़े वाहन गुजरते हैं । खतरनाक स्थिति हो जाती है। दो दिन पहले पूरे जिले में धूल उड़ रहे थे काफी समय मिला था प्रशासन को लेकिन कुछ नहीं हुआ ।दो दिनों की बारिश ने उस सड़क को पुनः गड्ढे में तब्दील कर दिया और दिन प्रतिदिन उस रोड की स्थिति और खराब हीं होगी ,कोई देखने वाला नहीं है। बड़े-बड़े ट्रक वाले जान हथेली पर लेकर उस रास्ते से गुजर रहे हैं।
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